उत्तराखंड में त्रिवेंद्र सरकार का अंतिम बजट आज होगा पेश, हो सकती है बड़ी घोषणाएं
उत्तराखंड की ग्रीष्मकालीन राजधानी भराड़ीसैंण में त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार अपना पांचवां बजट गुरुवार को गैरसैंण विधानभवन में पेश करेगी। वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए बजट का आकार करीब 56900 करोड़ रुपये रखा गया है। गैरसैंण में ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित करने की सालगिरह के मौके पर नए बजट में आम जन को सुकून का अहसास कराया जाएगा, साथ में सरकार बड़ी योजना पर दांव खेल सकती है।
चमोली जिले के गैरसैंण में त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार का यह दूसरा बजट है। साथ ही यह सरकार का पांचवा व अंतिम बजट है। बीते वर्ष भी चार मार्च को ही सरकार ने वर्ष 2020-21 के लिए बजट पेश किया था। बजट पेश करने वाले दिन ही सरकार ने गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाने की ऐतिहासिक घोषणा की थी। सरकार की इस घोषणा को बड़े गेमचेंजर के रूप में देखा गया।
खास बात ये है कि इस बार भी नए वित्तीय वर्ष के लिए बजट पेश करने की तिथि चार मार्च ही तय की गई है। माना जा रहा है कि गुरुवार को मुख्यमंत्री बड़ी घोषणा कर सकते हैं। चुनावी वर्ष में पेश किए जा रहे इस बजट में सरकार हर वर्ग को राहत पहुंचाने के लिए नई योजनाओं की घोषणा कर सकती है। प्रदेश में ढांचागत विकास के लिए केंद्रपोषित योजनाओं पर नए बजट पर फोकस रहेगा।
कोरोना के कारण उपजी स्थितियों को देखते हुए सरकार की ओर से इस बार बजट में हर वर्ग को किसी न किसी रूप में राहत देने की कोशिश की जा सकती है। योजना आकार बढ़ाकर सरकार ने इसका संकेत भी दिया है। इसी के साथ सरकार पर रोजगार के अवसर बढ़ाने का भी दबाव है। इसके लिए सरकार मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना सहित अन्य रोजगारपरक योजनाओं का दायरा बढ़ा सकती है।
परंपरागत बजट से करना होगा किनारा
प्रदेश सरकार अभी तक राजस्व सरप्लस और कर रहित बजट लाती रही है। इस बार सरकार के सामने इस तरह का परंपरागत बजट लाना खासी चुनौती भरा होगा। प्रदेश की विकास दर शून्य से नीचे रहने का ही अनुमान है। ऐसे में राजस्व घाटे के बजट की अधिक संभावना है। इतना जरूर है कि सरकार चुनावी वर्ष होने के कारण अतिरिक्त कर से भी बचने की कोशिश करेगी।
जीडीपी का आकार घटने की आशंका
कोरोना काल से पहले प्रदेश की जीडीपी करीब 2.56 लाख करोड़ रुपये थी। इस समय विकास दर शून्य से नीचे है तो जीडीपी का आकार भी 2.50 लाख करोड़ रुपये के आसपास हो सकता है।
राजकोषीय घाटा बढ़ेगा, फिर भी सरकार राहत में
राजकोषीय घाटे का बढ़ना हर हाल में तय है। अभी तक सरकार राजकोषीय घाटे को जीडीपी की तुलना में तीन प्रतिशत तक रखने में सफल रही है। अब केंद्र की ओर से राजकोषीय घाटे को नौ प्रतिशत के अंदर रखने की रियायत दी गई है। इसके बावजूद सरकार को राजकोषीय घाटे को कम से कम रखने के लिए योजना बनानी होगी।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।