केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के भारत बंद का दिखने लगा असर, देशभर में कर्मचारियों का प्रदर्शन, उत्तराखंड में निकाली रैली
वाम मोर्चे के सदस्य रेलवे स्टेशनों में ट्रेनों पर चढ़ गए और इनमें पार्टी का झंडा लगा दिया। नई दिल्ली में संसद भवन में भी भारत बंद का असर दिखा। यहां वामपंथी और द्रमुक सांसदों ने दो दिवसीय ‘भारत बंद’ को लेकर गांधी प्रतिमा पर विरोध प्रदर्शन किया। केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के इस भारत बंद को वामपंथी मोर्चा और द्रमुक ने समर्थन दिया है। भाकपा सांसद बिनॉय विश्वम ने राज्यसभा में नियम 267 के तहत केंद्र सरकार की निगमीकरण और निजीकरण नीतियों के विरोध में देश भर के श्रमिकों द्वारा बुलाई गई दो दिवसीय राष्ट्रव्यापी हड़ताल को लेकर राज्यसभा में निलंबन नोटिस दिया है।
उत्तराखंड में भी दिखा हड़ताल का असर
उत्तराखंड में ट्रेड संयुक्त ट्रेड यूनियन्स संघर्ष समिति के तत्वावधान में सुबह विभिन्न संगठनों से जुड़े लोग देहरादून के गांधी पार्क में एकत्र हुए। यहां से एक जुलूस भी निकाला गया। घंटाघर होते हुए जुलूस वापस गांधी पार्क पहुंचा और इस दौरान जनसभा भी आयोजित की गई। इसके अलावा बैंक कर्मियों ने भी गेट मीटिंग कर प्रदर्शन किया। वहीं, देहरादून में एनआईईआईपीडी (एनआईवीएच) और नेशनल हाइड्रोग्राफिक ऑफिस वर्कर्स यूनियन की ओर से ही अखिल भारतीय हड़ताल के समर्थन में विरोध दिवस मनाया गया। यूनियन के अध्यक्ष जगदीश कुकरेती ने बताया कि कर्मचारियों ने काला फीता बांधकर कार्यालयों के गेट के समक्ष प्रदर्शन किया और सभा आयोजित की गई। इसके अलावा, प्रदेश के विभिन्न स्थानों पर भी कर्मचारी संगठनों की ओर से विरोध प्रदर्शन किए गए।
राष्ट्रपति को भेजा ज्ञापन, केंद्र की नीतियों की आलोचना
इस मौके पर उत्तराखंड संयुक्त ट्रेड यूनियन्स संघर्ष समिति ने राष्ट्रपति को ज्ञापन प्रेषित किया। देहरादून के गांधी पार्क के समक्ष हुई सभा को इंटक के प्रदेश अध्यक्ष व पूर्व केबिनेट मंत्री हीरा सिंह बिष्ट ने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार द्वारा 29 श्रम कानूनों को रद्द कर चार श्रम संहितायें बनाई गई है जो कि मजदूरों को गुलामी की ओर धकेलने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने केंद्र व राज्य सरकारों द्वारा सार्वजनिक संस्थानों का निजीकरण कर रही है, जिससे बेरोजगारो की फौज खड़ी हो जाएगी।
इस अवसर पर सीटू के राज्य सचिव लेखराज ने कार्यक्रम का संचालन करते हुए कहा कि केंद्र की मोदी सरकार द्वारा आयुद्ध निर्माणियों का निगमीकरण कर दिया गया है, जिसका दुष्परिणाम 100 श्रमिकों को बाहर कर दिया गया है। इसी प्रकार FRI में भी 107 श्रमिको को हटा कर नई भर्ती की जा रही है। यह सब मोदी सरकार की श्रमिक विरोधी नीतियों का ही परिणाम है। उन्होंने कहा कि भोजनमाता, आशा आंगनवाड़ियों को राज्य कर्मचारी का दर्जा दिया जाए।
इस अवसर पर सीटू के प्रांतीय अध्यक्ष राजेन्द्र सिंह नेगी ने कहा कि भाजपा सरकार की ओर से श्रम कानूनों को समाप्त कर मजदूरों के अधिकारों को समाप्त किया जा रहा है। सार्वजनिक संस्थानों बैंक, बीमा, एलआईसी, रेल एयर इंडिया, पोस्टल सहित आयुध निर्माणी को निजी हाथों में सौंपा जा रहा है। इसका पूरे देश का श्रमिक वर्ग विरोध कर रहा है और आज की सफल हड़ताल इस सरकार के खिलाफ मजदूरों का ही आक्रोश है।
ऐटक के प्रांतीय महामन्त्री अशोक शर्मा ने कहा कि जहां एकतरफ सरकार द्वारा बेतहाशा महगाई बढ़ाई जा रही है, वही गरीब मजदूरों के मुंह से निवाला छीना जा रहा है। जिसका ट्रेड यूनियने विरोध कर रही हैं। एक्टू की ओर से इंद्रेश मैखुरी ने कहा कि मोदी सरकार की नीतियों के कारण मजदूरों का शोषण कई गुना बढ़ गया है। इस शोषण के खिलाफ ही मजदूरों की देश मे मुक्कमल हड़ताल हो रही है। इस अवसर पर किसान नेता सुरेंद्र सिंह सजवाण, महिला समिति की अध्यक्ष इंदू नौढियाल ने भी विचार व्यक्त किये।
इस अवसर पर ऐटक के प्रांतीय उपाध्यक्ष समर भण्डारी, इंटक से आएपी अमोली, मोहित कुमार, रवि कुमार, अनिल कुमार, राज कुमार, जगदीश बहुगुणा, उमा बहुगुणा, बालेश, वीरेंद्र नेगी, ओ.पी.सूदी, एक्टू के उपाध्यक्ष के.पी.चंदोला, आंगनवाड़ी के जिला अध्यक्ष ज्योति ज्योतिका पांडे, महामंत्री रजनी गुलरिया, भोजन माता यूनियन की महामंत्री मोनिका, अनीशा, यूकेएमएसआरए के प्रांतीय अध्यक्ष दीपक शर्मा , शैलेन्द्र नेगी, प्रमोद उनियाल, त्रिवेंद्र नेगी, नवीन शर्मा सीटू के उपाध्यक्ष भगवान सिंह दयाल, कोषाध्यक्ष रविंद्र नौटियाल, राम सिंह भंडारी, लक्ष्मी पंत, अनिल उनियाल, लक्ष्मी नारायन भट्ट, विषेध कुमार राजबचन गुप्ता, चंपा, अशोक, संजय, कमलेश, धर्मानन्द भट्ट, यूपी एम एस आर ए के धनंजय पांडे, दून स्कूल कर्मचारी पंचायत के नरेंद्र सिंह देवराज, एफ आर आई से छबीलाल, प्रदीप कंसल, मोहन सिंह पंवार, मुकेश चौहान आदि श्रमिक कर्मचारी उपस्थित थे। इस अवसर पर कांग्रेस के विधायक प्रीतम सिंह भी समर्थन देने आए।
केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के एक संयुक्त मंच द्वारा राष्ट्रव्यापी हड़ताल का आह्वान किया गया है। ये हड़ताल श्रमिकों, किसानों और लोगों को प्रभावित करने वाली सरकारी नीतियों के विरोध में की जा रही है। ऑल इंडियन ट्रेड यूनियन कांग्रेस की महासचिव अमरजीत कौर ने एक बयान में इस हड़ताल में 20 करोड़ से अधिक कार्यकर्ताओं की भागीदारी का दावा किया है।
इस हड़ताल में बैंक कर्मचारी भी हिस्सा ले रहे हैं। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के प्राइवेटाइजेशन की सरकार की योजना के साथ-साथ बैंकिंग कानून संशोधन विधेयक 2021 के विरोध में बैंक यूनियन हड़ताल में शिरकत कर रही है। देश के सबसे प्रमुख बैंक भारतीय स्टेट बैंक सहित कई बैंकों ने बयान जारी कर ग्राहकों को सूचित किया है कि सोमवार और मंगलवार को बैंकिंग सेवाएं प्रभावित हो सकती हैं।
डाक, आयकर, तांबा और बीमा जैसे कई अन्य क्षेत्रों के कर्मचारियों के हड़ताल में भाग लेने की संभावना है। साथ ही रेलवे और रक्षा क्षेत्र से जुड़ी यूनियन भी बंद के समर्थन में सड़कों पर उतरे हैं। वहीं, रोडवेज, परिवहन और बिजली विभगा के कर्मचारी भी इस हड़ताल का हिस्सा हैं। विद्युत मंत्रालय ने आज सभी सरकारी कंपनियों और अन्य एजेंसियों को हाई अलर्ट पर रहने को कहा है। साथ ही 24 घंटे बिजली आपूर्ति और राष्ट्रीय ग्रिड की स्थिरता सुनिश्चित करने की सलाह भी दी गई है।
मंत्रालय की सलाह में कहा गया है कि अस्पतालों, रक्षा और रेलवे जैसी आवश्यक सेवाओं में लगे लोगों को बिजली की आपूर्ति सुनिश्चित की जानी चाहिए। किसी भी तरह की स्थिति से निपटने के लिए 24×7 नियंत्रण कक्ष स्थापित करने का सुझाव दिया गया है। भारतीय मजदूर संघ ने ऐलान किया है कि वो हड़ताल में शामिल नहीं होगा। संघ ने इस भारत बंद राजनीति से प्रेरित बताया है। मजदूर संघ के मुताबिक इस बंद का मकसद चुनिंदा राजनीतिक दलों के एजेंडे को आगे बढ़ाना है।
भारत बंद को अखिल भारतीय असंगठित कामगार और कर्मचारी कांग्रेस की तरफ से समर्थन मिला है। कांग्रेस की तरफ से कहा गया है कि राहुल गांधी बंद में शामिल वर्गों की मांगों के पक्ष में अपनी बात रखते रहे हैं। बंगाल सरकार ने 28 और 29 मार्च को किसी भी कर्मचारी को कोई आकस्मिक अवकाश या आधे दिन की छुट्टी देने से साफ मना किया है। सरकार ने कहा कि यदि कोई कर्मचारी छुट्टी लेता है, तो इसे आदेश का उल्लंघन माना जाएगा और इसका असर उसके वेतन पर भी पड़ेगा।
बीजेपी के पांच में से चार राज्यों में विधानसभा चुनाव जीतने के बाद यह पहली ऐसी हड़ताल है, जिसमें सरकारी नीतियों का विरोध किया जा रहा है. हाल ही में संपन्न हुए 5 राज्यों के विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने चार राज्य में शानदार जीत हासिल कर अपनी सरकार बनाई।
इस हड़ताल में बैंक कर्मचारी भी हिस्सा ले रहे हैं. सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के प्राइवेटाइजेशन की सरकार की योजना के साथ-साथ बैंकिंग कानून संशोधन विधेयक 2021 के विरोध में बैंक यूनियन हड़ताल में शिरकत कर रही है. कर्मचारी भविष्य निधि संगठन पर कम ब्याज दर, ईंधन की बढ़ती कीमत इस बंद के मुख्य कारणों में से एक हैं।
केरल में भारत बंद के असर की वजह से सड़कें सुनसान नज़र आ रही है. केवल कुछ निजी वाहन ही सड़कों पर देखे जा सकते हैं. बंद के दौरान केरल राज्य सड़क परिवहन निगम (KSRTC) ने अपनी सेवाएं रोक दी हैं।
केरल में लोगों को रेलवे स्टेशनों, अस्पतालों आदि जैसी जगह तक पहुंचने में मदद के लिए पुलिस की तरफ से मदद की जा रही है. भारत बंद के दौरान आपातकालीन सेवाओं को हड़ताल से बाहर रखा गया है। केरल उच्च न्यायालय ने भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (BPCL) की पांच यूनियनों को हड़ताल में भाग लेने से रोक दिया है। पश्चिम बंगाल में, भले ही ट्रेड यूनियनों को सड़कों पर विरोध करते देखा जा सकता है।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।