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November 20, 2025

द देहरादून डायलॉग के अंतर्गत ठोस अपशिष्ट प्रबंधन पर चर्चा

दून लाइब्रेरी एंड रिसर्च सेंटर ने स्वयंसेवी संस्था स्पेक्स (SPECS) के सहयोग से द देहरादून डायलॉग के अंतर्गत ठोस अपशिष्ट प्रबंधन पर चर्चा की। ये चर्चा DLRC सभागार में आयोजित की गई। कार्यक्रम में छात्रों, नागरिक समूहों, पर्यावरण विशेषज्ञों तथा विभिन्न संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। ठोस अपशिष्ट प्रबंधन पर यह तीसरा व्याख्यान था। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

कार्यक्रम का शुभारंभ अनिल जग्गी ने द देहरादून डायलॉग और SPECS का परिचय देते हुए किया। उन्होंने व्याख्यान की आवश्यकता और प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला। साथ ही तथा दिन के वक्ताओं में वेस्ट वॉरियर्स सोसायटी देहरादून के मयंक शर्मा और नवीन कुमार सदाना कापरिचय कराया। दोनों वक्ताओं ने ठोस अपशिष्ट प्रबंधन की प्रमुख चुनौतियों तथा ग्रामीण और शहरी भारत में लागू किए जा सकने वाले सामुदायिक एवं टिकाऊ समाधान प्रस्तुत करते हुए एक प्रभावी और सूचनाप्रद व्याख्यान दिया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

साझा किए राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय आँकड़े
•भारत प्रतिदिन लगभग 1.6 लाख टन ठोस अपशिष्ट उत्पन्न करता है, जिसमें से केवल 60% संग्रहित और 20–25% संसाधित होता है।
•उत्तराखंड प्रतिदिन 1,600–1,800 टन अपशिष्ट उत्पन्न करता है। पर्वतीय नगरों पर पर्यटन, सीमित भूमि, मौसम के अनुसार बढ़ने वाला कचरा और परिवहन चुनौतियों का अतिरिक्त दबाव रहता है।
व्याख्यान का मुख्य उद्देश्य
•नागरिकों द्वारा अपशिष्ट में कमी एवं पर्यावरण हितैषी जीवनशैली अपनाना
•ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में उत्पन्न होने वाले अपशिष्ट के प्रकार
•स्रोत पर कचरा पृथक्करण का महत्व
•लैंडफिल पर निर्भरता कम करना
•विकेन्द्रीकृत अपशिष्ट प्रबंधन प्रणाली को मज़बूत बनाना (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

प्रस्तुत किए गए सामुदायिक मॉडल
वेस्ट वॉरियर्स टीम ने दो प्रभावी मॉडल प्रस्तुत किए:
•हर्रावाला मॉडल (शहरी/पेरि-शहरी)
•पर्यावरण सखी मॉडल (ग्रामीण)
इन मॉडलों ने सामुदायिक सहभागिता, स्वयं सहायता समूहों (SHGs) की भूमिका, विकेन्द्रीकृत कम्पोस्टिंग और सुव्यवस्थित रीसाइक्लिंग नेटवर्क की प्रभावशीलता को दर्शाया।
इन पहलों पर भी साझा किए विचार
•स्वच्छ भारत मिशन 2.0
•ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016
•प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियम
•उत्तराखंड में MRFs को मज़बूत करने, डोर-टू-डोर कलेक्शन बढ़ाने, विरासत कचरे (legacy waste) के बायो-माइनिंग, एवं प्लास्टिक-फ्री ज़ोन विकसित करने की पहल। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

 

शून्य अपशिष्ट उत्तराखंड के लिए सुझाव
•घरों और संस्थानों में 100% स्रोत-स्तर पर कचरा पृथक्करण
•नगरीय स्थानीय निकायों (ULBs) की क्षमता बढ़ाना, प्रशिक्षण और निगरानी को सुदृढ़ करना
•वार्ड-स्तरीय कम्पोस्टिंग इकाइयों का विस्तार
•मज़बूत रीसाइक्लिंग लिंकज के साथ सुसज्जित MRFs का संचालन
•SHGs, युवाओं और स्वच्छता कर्मियों को SWM प्रणाली में एकीकृत करना
•समुदाय की भागीदारी से सिंगल-यूज़ प्लास्टिक प्रतिबंध का कड़ाई से पालन
•रिसाइक्लिंग, रिपेयर और पुन: उपयोग आधारित हरित आजीविकाओं को बढ़ावा
•पर्यटन और जलवायु-संवेदनशील पर्वतीय क्षेत्रों में अपशिष्ट प्रबंधन को मजबूत करना
•हर्रावाला और पर्यावरण सखी जैसे सफल मॉडलों को पूरे राज्य में विस्तार देना (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

नागरिकों की भूमिका पर बल
व्याख्यान ने इस तथ्य को रेखांकित किया कि उत्तराखंड को स्वच्छ और सतत बनाने में हर नागरिक की महत्वपूर्ण भूमिका है। प्रतिभागियों को दैनिक कचरे में कमी, सिंगल-यूज़ प्लास्टिक से बचने, कचरा संग्रहण टीमों का सहयोग करने, घर पर कम्पोस्टिंग अपनाने और किसी भी प्रकार की अवैध डम्पिंग की सूचना स्थानीय प्रशासन को देने के लिए प्रेरित किया गया। सत्र के दौरान प्रतिभागियों के कई प्रश्नों का विशेषज्ञों द्वारा उत्तर दिया गया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

डॉ. बृज मोहन शर्मा का समापन संदेश
SPECS के अध्यक्ष डॉ. बृज मोहन शर्मा ने व्याख्यान के समापन पर कहा कि ठोस अपशिष्ट प्रबंधन केवल तकनीकी चुनौती नहीं, बल्कि सामूहिक सामाजिक जिम्मेदारी है। हर छोटा कदम, हर प्रयास, चाहे वह कचरे का पृथक्करण हो या प्लास्टिक उपयोग में कमी, उत्तराखंड को अधिक स्वच्छ और स्वस्थ बनाने में योगदान देता है। उन्होंने सभी नागरिकों, संस्थानों और समुदाय समूहों से आग्रह किया कि वे इन सीख को व्यवहार में लाएँ और सामूहिक प्रयासों से शून्य अपशिष्ट भविष्य की दिशा में आगे बढ़ें। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

कार्यक्रम में चंद्रशेखर तिवारी, हरी राज सिंह, रानू बिष्ट, डॉ. विजय गम्भीर, बालेन्दु जोशी, राम तीरथ मौर्या, डॉ. यशपाल सिंह, तथा फूलचंद नारी शिल्प इंटर कॉलेज, माया देवी यूनिवर्सिटी, पीपुल्स साइंस इंस्टिट्यूट के छात्र छात्राओं सहित दून के नागरिक समुदाय के सदस्य सीमा सिंह और रेनू जोशी उपस्थित रहे।
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Bhanu Bangwal

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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