रथ पर सवार होकर आंदोलनकारी सुशीला बलूनी का शव पहुंचा शहीद स्थल, दी सलामी, लगाए गए-बलूनी अमर रहे के नारे
उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी सुशीला बलूनी का आज हरिद्वार में अंतिम संस्कार कर दिया गया। इससे पहले डोभालवाला स्थित दिंवगत आंदोलनकारी के घर से पार्थिव शरीर को रथ पर रखकर देहरादून के कचहरी स्थित शहीद स्थल तक आंदोलनकारी ले गए। जिस वाहन में शव को रखा गया था, उसे फूलों से सजाकर रथ का रूप दिया गया था। इस दौरान राज्य आंदोलनकारी वाहन रैली के रूप में शव से आगे चल रहे थे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
राज्य आंदोलनकारी मोहन खत्री के नेतृत्व में राज्य आंदोलनकारी- सुशीला बलूनी जिंदाबाद, जब तक सूरज चांद रहेगा-बलूनी तुम्हारा नाम रहेगा, सुशील बलूनी-अमर रहे, आदि के नारे लगा रहे थे। शहीद स्थल पर पहुंचने के बाद जिला प्रशासन और पुलिस की ओर से सुशील बलूनी को सलामी दी गई। शहीद स्थल पर लोगों के दर्शनार्थ दिवंगत नेत्री का पार्थिक शरीर रखा गया। जहां बार एसोसिएशन, राजनीतिक, सामाजिक दलों के लोगों ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। इसके बाद शव को अंतिम संस्कार के लिए हरिद्वार ले जाया गया। जहां अंतिम संस्कार कर दिया गया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
राज्य आंदोलनकारी को कलक्ट्रेट में श्रद्धांजलि देने वालों में राज्य आंदोलनकारी जगमोहन नेगी, रामलाल खंडूरी, मोहन रावत, प्रदीप कुकरेती, केएस उनियाल, वीरेंद्र पोखरियाल, जयदीप सकलानी, अनुज नौटियाल, प्रमिला रावत, पुष्पलता सिलमाना, सुलोचना भट्ट, रामेश्वरी पोखरीयाल, मेयर सुनील उनियाल गामा, अजय वर्मा सहित बड़ी संख्या में लोग शामिल थे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी तथा उत्तराखंड महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष सुशीला बलूनी के निधन पर दुःख व्यक्त किया है। उन्होंने सुशीला बलूनी के डोभालवाला स्थिति आवास पर जाकर उनके पार्थिव शरीर पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी। मुख्यमंत्री ने दिवंगत आत्मा की शांति एवं शोक संतप्त परिजनों को धैर्य प्रदान करने की ईश्वर से कामना की। मुख्यमंत्री ने कहा कि पृथक उत्तराखंड के निर्माण में सुशीला बलूनी के योगदान को सदैव याद रखा जायेगा। इस अवसर पर कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी ने भी श्रीमती सुशीला बलूनी को श्रद्धांजलि दी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
लंबी बीमारी के चलते हुआ था निधन
गौरतलब है कि प्रसिद्ध उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी सुशीला बलूनी का मंगलवार की सांय निधन हो गया था। वह 84 साल की थी। वह बीते काफी समय से बीमार चल रही थीं। मंगलवार नौ मई की दोपहर उनकी तबियत खराब होने पर उन्हें मैक्स अस्पताल में भर्ती कराया गया था। देर सांय उनका निधन हो गया। मूलरूप से उत्तरकाशी जनपद की निवासी सुशीला बलूनी अधिवक्ता भी थीं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
1994 के आंदोलन में अनशन पर बैठने वाली पहली महिला
वरिष्ठ पत्रकार जितेंद्र अंथवाल के मुताबिक, नौ अगस्त 1994 को देहरादून कलेक्ट्रेट में आमरण अनशन करने वाली वे उस दौर के राज्य आंदोलन (1994) की पहली महिला सुशीला बलूनी थीं। पर्वतीय गांधी इंद्रमणि बडोनी के नेतृत्व वाली उत्तराखंड संयुक्त संघर्ष समिति के केंद्रीय संयोजक मंडल की सदस्य होने के साथ ही वे उत्तराखंड आंदोलन में महिलाओं की केंद्रीय संघर्ष समिति की संयोजक भी रहीं। अनेक बार जेल यात्राएं करने के अलावा वे लाठीचार्ज में घायल हुईं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
मुजफ्फर नगर के रामपुर तिराहा पर 2 अक्तूबर 1994 की सुबह हुए जघन्य कांड के विरोध में आंदोलन का संचालन करने वाली वे प्रमुख महिला नेत्री थीं। जनता दल, उत्तराखंड क्रांति दल के बाद वे पिछले ढाई दशक से भाजपा में थीं। राज्य आंदोलन में वे 1994 से पूर्व उस दौर में भी सक्रिय रहीं, जब यह राज्य के नामलेवा चांद लोग ही हुआ करते थे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ऐसा संघर्षशील व्यक्तित्व, सभी करते थे जिसका सम्मान
राजनीति का ककहरा उन्होंने स्व. हेमवती नंदन बहुगुणा से सीखा था। सुशीला बलूनी उत्तराखंड और खासकर देहरादून में राजनीति की वह सख्शीयत थीं, जो किसी भी दल में रही हों, मगर उन्हें सम्मान देने वाले हर दल में रहे। काफी उम्रदराज होने के बावजूद वे हर संघर्ष में अग्रणी रही हैं। हालांकि, राजनीतिक रूप से उन्हें वह स्थान नहीं मिला, जिसकी वे हकदार थीं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
1996 में निर्दलीय और 2002 में उक्रांद के टिकट पर वे विधानसभा का चुनाव लड़ीं, मगर सफलता नहीं मिली। 1989 में वे देहरादून नगर पालिका की सदस्य भी रहीं। वे जनता दल की नगर अध्यक्ष भी रहीं। साल-2003 में देहरादून नगर निगम के पहले चुनाव में वे मेयर का चुनाव भी लड़ीं, लेकिन सफलता नहीं मिली। वे भाजपा सरकारों के समय राज्य आंदोलनकारी सम्मान परिषद और राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष भी रहीं। उनके निधन से समूचे उत्तराखंड में शोक की लहर है।
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Bhanu Prakash
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।