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April 25, 2025

यशपाल आर्य के कांग्रेस में आने पर दलित कार्ड का खेल शुरू, पंजाब की तर्ज पर पैरवी, हरीश के राग में प्रीतम ने मिलाए सुर

पंजाब में दलित समुदाय से चरणजीत सिंह चन्नी को सीएम बनाने के बाद उत्तराखंड में भी कांग्रेस के पूर्व सीएम दलित कार्ड को ऐसा खेला कि अब इसे हवा मिलनी शुरू हो गई है।

पंजाब में दलित समुदाय से चरणजीत सिंह चन्नी को सीएम बनाने के बाद उत्तराखंड में भी कांग्रेस के पूर्व सीएम दलित कार्ड को ऐसा खेला कि अब इसे हवा मिलनी शुरू हो गई है। हरीश रावत ने कहा था कि वह उत्तराखंड में भी दलित चेहरे को उत्तराखंड के सीएम के रूप में देखना चाहते हैं। इसके बाद यशपाल आर्य और उनके बेटे संजीव आर्य की कांग्रेस में वापसी के बाद हरीश रावत के बयान को पंख मिलते नजर आने लगे हैं।
कांग्रेस में रहकर संगठन पदाधिकारी, विधायक, प्रदेश अध्यक्ष, विधानसभा अध्यक्ष से लेकर कैबिनेट मंत्री तक की जिम्मेदारी निभाने वाले यशपाल आर्य ने 16 जनवरी 2017 को दिल्ली में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की मौजूदगी में बेटे संजीव आर्य संग भाजपा का दामन थामा था। उनके इस फैसले से हर कोई हैरान था। तत्कालीन सीएम हरीश रावत और कांग्रेस हाईकमान भी उनके संकेतों को भांप नहीं सके। तब यशपाल की नाराजगी के पीछे की वजह हरीश रावत व उनके सिपहसलारों को वजह माना गया। चार साल आठ माह बाद हरीश रावत ही पुराने साथी को मनाने में कामयाब हुए और 11 अक्टूबर को यशपाल आर्य बेटे संजीव आर्य के साथ कांग्रेस में वापस लौट आए। यशपाल आर्य बाजपुर और संजीव आर्य नैनीताल से विधायक हैं।
सोशल मीडिया में दलबदल को लेकर चर्चाएं
चुनाव से ऐन वक्त पहले एक दल से दूसरे दलों में जाने वाले नेताओं को लेकर सोशल मीडिया में भी चर्चा हो रही है। लोग यहां तक कह रहे हैं कि जब किसी नेता को लगता है कि वह अब इसी पार्टी में जीत नहीं पाएगा तो वह दल बदल देता है। ऐसे में यशपाल आर्य ने भी स्थिति को भांप कर दल बदला। वैसे दल बदलने वाले ज्यादातर नेताओं का अपना जनाधार होता है। ऐसे कई नेता भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों में हैं। जिन पर दलबदल का ठप्पा है, लेकिन वे अपने बूते चुनाव जीतने की क्षमता भी रखते हैं। यदि कोई नेता किसी दल की सरकार गिराने के लिए दल बदले तो इसे सही नहीं ठहराया जा सकता है, लेकिन चुनाव से पहले पाला बदलना किसी भी व्यक्ति की अपनी इच्छा पर निर्भर है। इसे किसी भी दृष्टि से गलत नहीं ठहराया जाना चाहिए। यदि गलत है तो फिर क्षेत्र की जनता उन्हें क्यों दोबारा चुनकर भेजती है। ऐसे नेताओं को जनता इसीलिए चुनती है क्योंकि उसे अपने नेता पर विकास को गति देने का भरोसा रहता है।
हरीश रावत ने छेड़ा राग तो प्रीतम ने भी मिलाए सुर
दलित नेता को सीएम के रूप में देखने को लेकर हरीश रावत ने अपनी इच्छा का जो राग छेड़ा, उसमें कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ओर नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह भी सुर मिलाते नजर आ रहे हैं। उत्तराखंड के नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह ने कहा कि कांग्रेस साल 2022 में कांग्रेस चुनाव जीतने जा रही है। मुख्यमंत्री का फैसला विधायक और हाईकमान करेंगे। उन्होंने कहा कि अगर यशपाल आर्य मुख्यमंत्री बनते हैं तो इसमें हर्ज क्या है। यशपाल आर्य मूल रूप से कांग्रेसी रहे हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस में हर वर्ग का पूरा सम्मान है। आगामी चुनाव में कांग्रेस 60 से अधिक सीट जीतेगी। उन्होंने यह भी कहा कि वह किसी रेस में नहीं हैं। सिपाही के रूप में कांग्रेस जो दायित्व सौंपेगी, वह उसका निर्वहन करेंगे। नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह ने भाजपा सरकार को आड़े हाथ लिया। उन्होंने कहा कि सरकार हर मोर्चे पर विफल रही है। भाजपा ने सत्ता में आने के बाद पारदर्शी और भ्रष्टाचार मुक्त शासन के साथ ही लोकायुक्त लाने का वादा किया था। लोकायुक्त अभी तक लागू नहीं हो पाया है।

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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