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March 11, 2025

बुद्ध पूर्णिमा के स्नान को हरिद्वार में उमड़ी भीड़, साल का पहला चंद्रग्रहण शुरू, चंद्र ग्रहण के दौरान न करें ये काम

बुद्ध पूर्णिमा के मौके पर आज सोमवार यानी की 16 मई को तीर्थनगरी हरिद्वार में भक्‍तों के स्‍नान करने का सिलसिला जारी है। इस दौरान हरकी पैड़ी पर भक्‍तों की भारी भीड़ नजर आई।

बुद्ध पूर्णिमा के मौके पर आज सोमवार यानी की 16 मई को तीर्थनगरी हरिद्वार में भक्‍तों के स्‍नान करने का सिलसिला जारी है। इस दौरान हरकी पैड़ी पर भक्‍तों की भारी भीड़ नजर आई। वहीं, साल का पहला चंद्रग्रहण आज सुबह 8 बजकर 59 मिनट से शुरू हो गया है। जो सुबह 10 बजकर 23 मिनट पर समाप्त हो जाएगा। हिंदू धर्म मान्यता के मुताबिक, इस दौरान कुछ कामों की मनाही है। ऐसे में इन कामों को ना ही करें। वहीं, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रदेशवासियों को बुद्ध पूर्णिमा की बधाई दी है।
हरिद्वार में श्रद्धालुओं ने हरकी पैड़ी पर ब्रह्म कुंड में आस्था की डुबकी लगाई। सोमवार को तड़के से ही हरिद्वार के विभिन्‍न गंगा घाटों पर स्‍नान और पूजन शुरू हो गया था। स्नान के बाद श्रद्धालुओं ने पूजा की साथ ही पंडितों और असहाय लोगों को दान दक्षिणा भी दी। श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए यहां पुलिस बल भी तैनात किया गया है।
इस साल पड़ रहे हैं दो चंद्रग्रहण, पहला हो चुका शुरू
साल का पहला चंद्रग्रहण आज सुबह 8 बजकर 59 मिनट से शुरू हो गया है। यह सुबह 10 बजकर 23 मिनट पर समाप्त हो जाएगा। इस साल केवल दो चंद्र ग्रहण पड़ रहे है और दोनों की पूर्ण चंद्र ग्रहण है। दूसरा चंद्र ग्रहण 8 नवंबर 2022 को पड़ रहा है। इस बार चंद्र ग्रहण काफी खास है, क्योंकि इस दिन बुद्ध पूर्णिमा भी है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, ग्रहण का समय अशुभ माना जाता है। ऐसे में कई कार्य करने की मनाही है। बता दें कि जब पृथ्वी की छाया चंद्रमा पर पड़ती है तो चंद्र ग्रहण पड़ता है।
ग्रहण की अवधि में भोजन की मनाही
चंद्र ग्रहण हो या सूर्य ग्रहण इसकी अवधि में भोजन करने की मनाही होती है। मान्यता है कि ग्रहण के दौरान नकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। इसलिए भोजन करने से परहेज करना चाहिए. हालांकि बीमार लोग और बच्चे इस दौरान हल्का नास्ता कर सकते हैं.
ग्रहण के दौरान ना करें स्नान
धार्मिक मान्यता है कि ग्रहण के दौरान स्नान नहीं करना चाहिए. दरअसल ऐसा माना जाता है कि ग्रहण के दौरान स्नान करने से स्वास्थ्य प्रभावित हो सकता है। इसलिए ग्रहण समाप्ति के बाद स्नान करने के लिए कह जाता है। ग्रहण की समाप्ति के बाद पानी में गंगाजल या तुलसी के पत्ते मिलाकर स्नान करने के लिए कहा जाता है।
ग्रहण के दौरान सोना नहीं चाहिए
ग्रहण के दौरान सोना निषेध माना गया है. मान्यता है कि इस दौरान सोने से ग्रहण की नकारात्मक ऊर्जा शरीर को प्रभावित कर सकती है।
नंगी आंखों से नहीं देखना चाहिए चंद्रमा
ग्रहण के दौरान नंगी आंखों से चंद्रमा को नहीं देखना चाहिए. मान्यता है कि ऐसा करने से आंखों पर विपरीत प्रभाव पड़ सकत है। हालांकि इसका कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। स्पेस एजेंसी नासा के मुताबिक चंद्र ग्रहण को देखने के लिए किसी उपकरण की जरुरत नहीं है। हालांकि दूरबीन से देखा जा सकता है।
गर्भवती महिलाओं के लिए हानिकारक माना जाता है ग्रहण
ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाओं को घर से बाहर निकलने के लिए मना किया जाता है. दरअसल मान्यता है कि ग्रहण की नकारात्मक ऊर्जा गर्भस्थ शिशु पर नकारात्मक असर डाल सकता है।
चंद्र ग्रहण के दौरान न करें ये काम
ज्योतिषचार्यों के अनुसार, ग्रहण के समय किसी भी शुभ काम को करने की मनाही होती है।
ग्रहण से पहले खाने-पीने कती चीजों में तुलसी दल डाल देना चाहिए। इससे उसमें ग्रहण का बुरा असर नहीं पड़ता है।
ग्रहण के समय भगवान की मूर्तियां या फिर तस्वीर स्पर्श नहीं करनी चाहिए। माना जाता है कि ग्रहण के समय नकारात्मक ऊर्जा अधिक फैली होती है।
गर्भवती महिलाओं को चंद्र ग्रहण के समय खुद का अधिक ध्यान रखने की जरूरत है। इसलिए ग्रहण के दौरान वह घर से बाहर न निकले।
ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाएं नुकीली चीजें जैसे सुई, चाकू आदि अपने पास न रखें।
ग्रहण के दौरान सोना वर्जित माना जाता है। लेकिन अगर कोई व्यक्ति घर में बीमार है या फिर बुजुर्ग है तो वह आराम कर सकता है।
ग्रहण के दौरान चंद्र देव की आराधना के साथ मंत्रों का जाप करना शुभ माना जाता है।
ग्रहण के दौरान मंत्रों का जाप करें। इससे काफी हद तक नकारात्मक ऊर्जा दूर रहती है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने दी बधाई
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बुद्ध पूर्णिमा के पावन अवसर पर प्रदेश वासियों को बधाई व शुभकामनाएं दी है। बुद्ध पूर्णिमा की पूर्व संध्या पर जारी अपने संदेश में मुख्यमंत्री ने कहा कि भगवान बुद्ध के करुणा, अहिंसा और समानता के संदेश मानवता के मार्ग के लिए प्रकाश स्तंभ के रूप में काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि गौतम बुद्ध के उपदेश हर परिस्थिति और काल में प्रासंगिक हैं। उनकी दी गई शिक्षा हमें संयम से आगे बढ़ने का संदेश देती है। महात्मा बुद्ध के विचार और जीवन मूल्य एक बेहतर समाज और राष्ट्र निर्माण के लिए हमेशा मार्गदर्शक रहेंगे।

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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