Recent Posts

Loksaakshya Social

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

Recent Posts

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

August 10, 2025

आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस और डीपफेक प्रौद्योगिकी से मानव की गरिमा और प्रतिष्ठा पर हो रहे निरंतर प्रहार चिंताजनक

उत्तराखंड तकनीक विश्वविद्यालय एवं उत्तराखंड मानव अधिकार संरक्षण केंद्र के संयुक्त तत्वावधान में ‘मानव के लिए प्रौद्योगिकी और साइबर सोसायटी में सुरक्षा’ विषयक सेमिनार का आयोजन किया गया। इस मौके पर मानव सेवा के समर्पित 14 महानुभावों को ‘7वें मानव अधिकार संरक्षण रत्न-2023’ अवार्ड से सम्मानित किया गया। सेमिनार में मानव जीवन में प्रौद्योगिकी के माध्यम से व्यक्ति की गरिमा और स्वतंत्रता और न्याय के अधिकारों के हनन पर परिचर्चा की गई। ये आयोजन अंतरराष्ट्रीय मानव अधिकार दिवस के उपलक्ष्य में किया गया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि उत्तराखंड राज्य लोक सेवा अधिकरण के अध्यक्ष न्यायमूर्ति यूसी ध्यानी, मानव अधिकार संरक्षण केंद्र के अध्यक्ष एवं एमिटी यूनिवर्सिटी के वाइस चैयरमेन न्यायमूर्ति राजेश टंडन, उत्तराखंड राज्य अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष पद्मडॉ. आरके जैन, उत्तराखंड राज्य मानवाधिकार आयोग के सदस्य आरएस मीना, राज्य पुलिस शिकायत प्राधिकरण के सचिव न्यायाधीश अब्दुल कय्यूम तथा समारोह के अध्यक्ष वीएमएसबी उत्तराखंड प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. ओंकार सिंह ने संयुक्त रूप से किया किया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

इस मौके पर आर.एस. मीणा ने कहा कि आज पुलिस के समक्ष साइबर अपराध अन्य सभी प्रकार के अपराधों से अधिक चुनौती बनकर उभरा है। साइबर अपराध को रोकने के लिए जो कानून बने है, वह अब नाकाफी महसूस किए जा रहे है। साइबर अपराधी डीपफेक और आर्टिफिशिएल इंटेलीजेंस के माध्यम से दुनिया के किसी भी कोने में बैठकर आपकी गरिमा, प्रतिष्ठा का हनन कर सकता है। आपको आर्थिक नुकसान पहुंचा सकता है। ऐसे में उनको ढूंढ़ना और और उनतक पहुंचना एक बड़ी चुनौती है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

 

पद्मडॉ आर.के जैन ने कहा कि दुनिया का एक बहुत बड़ा हिस्सा आज इंटरनेट के माध्यम से साइबर वर्ल्ड से जुड़ा हुआ है। ऐसे में जानकारी, जागरूकता और हर वक्त सचेत रहकर ही आप अपने साथ होने वाले साइबर अपराधों से बच सकते है। उन्होंने बताया कि किस तरह से वॉयस क्लोनिंग के माध्यम से साइबर अपराधी आपके परिजनों या परीचितों की आवाज में बात करके आपके साथ किसी भी तरह का अपराध कर सकते है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

न्यायमूर्ति राजेश टंडन ने मौजूदा आईटी एक्ट की जानकारी दी और उनके क्रियान्वयन में आने वाले दिक्कतों से रूबरू कराया। न्यायमूर्ति यूसी ध्यानी ने मानव अधिकारों के महत्व एवं उनके संरक्षण के विषय में सविस्तार के बताते हुए कहा कि किस तरह से संविधान सर्वोपरि है और कोई भी कानून संविधान में दी गई शक्तियों का अतिक्रमण नहीं कर सकता। उन्होंने बताया कि बाबा साहेब आंबेडकर ने यूनिवर्सल डिक्लेरेशन ऑफ हयूमन राइट्स में जिन अधिकारों की बात की गई, उन सभी को संविधान में समाहित करने का बहुत बड़ा कार्य किया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

उन्होंने जिनेवा डिक्लेरेशन का जिक्र करते हुए कहा कि यदि सरहद पर युद्ध के बीच शांति का झंडा फहराया जाए तो फिर एक देश की सेना दूसरे देश के सैनिकों के साथ युद्धबंदी के रूप में ही व्यवहार करेगी, यहां भी मानव अधिकारों को संरक्षित किया गया है। इस प्रकार हम अपने देश में भी देखते है कि यदि कोई अपराधी है तब भी उसको सजा देने के लिए ट्रायल जरूरी है। उन्होंने अजमल कसाब का जिक्र करते हुए कहा कि वह एक आतंकवादी था एवं पाकिस्तान का नागरिक था। इसके बावजूद चूंकि वह भारतीय कानूनों के अंतर्गत बंदी था अतः उसको ट्रायल एवं दोषसिद्धी के बाद ही फांसी की सजा दी गई। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

समारोह की अध्यक्षता कर रहे प्रो. ओंकार सिंह ने कहा कि प्रौद्योगिकी का विकास जिस तेजी के साथ हो रहा है उतने ही उसके जोखिम भी बढ़ते जा रहे हैं। कुछ लोग प्रौद्योगिकी में विशेषज्ञता हासिल करने के बाद उसका उपयोग समाज विरोधी गतिविधियों में कर रहे है। इससे पूर्व साइबर एक्सपर्ट डॉ. विशाल कौशिक ने पॉवर प्वाइंट प्रजेंटेशन के माध्यम से बताया कि किस तरह से हम साइबर अपराधों का शिकार हो रहे हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

 

उन्होंने बताया कि आज मानव के अधिकारों के हनन का सबसे बड़ा खतरा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से है। फेक न्यूज, फेक वीडियो, ऑडियो और फोटो के माध्यम से किस तरह से सामाजिक सोहार्द को खराब किया जा रहा है और मानव को मानव के खिलाफ खड़ा किया जा रहा है। उन्होंने उदाहरण देकर समझाया कि आप किस तरह से आसानी से साइबर अपराधों को शिकार हो जाते हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

इससे पूर्व विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो. सत्येंद्र सिंह ने अतिथियों का स्वागत किया और उनको मामेंटो प्रदान करके सम्मानित किया। कार्यक्रम का संचालन मानव अधिकार संरक्षण केंद्र के महासचिव कुँवर राज अस्थाना ने किया। धन्यवाद ज्ञापन वरिष्ठ उपाध्यक्ष डॉ. सुनील अग्रवाल ने किया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

इस अवसर 7वें मानव अधिकार संरक्षण रत्न अवॉर्ड से उत्तराखंड राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के पूर्व अध्यक्ष अशोक वर्मा, वरिष्ठ पत्रकार एवं संस्थापक अध्यक्ष, उत्तरांचल प्रेस क्लब व पूर्व प्राचार्य, डीएवी (पीजी) कॉलेज डॉ. देवेन्द्र भसीन, प्रबन्ध निदेशक, उत्तराखंड राज्य जैविक उत्पाद परिषद, विनय कुमार, स्पैक्स संस्था के संस्थापक अध्यक्ष डॉ. बृजमोहन शर्मा, वरिष्ठ अधिवक्ता एवं पूर्व अध्यक्ष, देहरादून बार एसोसिएशन एडवाकेट मनमोहन कंडवाल, वरिष्ठ पत्रकार, लेखक एवं साहित्यकार एडवोकेट डॉ. श्रीगोपाल नारसन, माया ग्रुप ऑफ कॉलेज देहरादून की प्रबन्ध निदेशक डॉ. तृप्ति जुयाल सेमवाल, प्रमाणिक परामर्शदाता व शिक्षण विशेषज्ञ एवं प्रधानाचार्या, हिल ग्रोव स्कूल, देहरादून डॉ. ललिता, नैदानिक मनोचिकित्सक डॉ. मुकुल शर्मा, निवेश सलाहकार, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया डॉ. जितेन्द्र डंडोना, वरिष्ठ पत्रकार एवं पूर्व अध्यक्ष, उत्तरांचल प्रेस क्लब नवीन थलेड़ी, मसूरी ट्रेडर्स वैलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष रजत अग्रवाल, एवं सरफराजुद्दीन सिद्दीकी, प्रमुख समाजसेवी, विकासनगर को सम्मानित किया गया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

इस अवसर पर उत्तरकाशी जिला चिकित्सालय के मुख्य जनसंपर्क अधिकरी संदीप राणा, गर्ग (पीजी) कॉलेज, लक्सर की प्रो. पूजा शर्मा, के अलावा मानव अधिकार संरक्षण केंद्र से पदाधिकारी अकबर सिद्दकी, राजीव वर्मा, एसपी सिंह, अनिल सिंह, राजेश डंग, अनिल तंवर, राजा डोगरा, वासु, अरविंद गुप्ता, पूनम आर्या, राजेश सोनी, शंभूनाथ गौतम, एन.ए. खान, विनय मित्तल, सारिका अग्रवाल आदि बड़ी संख्या में गणमान्य व्यक्ति तथा लॉ स्टूडेंट्स उपस्थित थे।
नोटः सच का साथ देने में हमारा साथी बनिए। यदि आप लोकसाक्ष्य की खबरों को नियमित रूप से पढ़ना चाहते हैं तो नीचे दिए गए आप्शन से हमारे फेसबुक पेज या व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ सकते हैं, बस आपको एक क्लिक करना है। यदि खबर अच्छी लगे तो आप फेसबुक या व्हाट्सएप में शेयर भी कर सकते हो।

Bhanu Prakash

लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may have missed