उत्तराखंड में एस्मा एक्ट लगाने को कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ने बताया सरकार की नाकामी का प्रमाण, सीटू के भी किया विरोध
उत्तराखंड कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने उत्तराखंड में कर्मियों पर एस्मा और हड़ताल पर छह माह का प्रतिबंध लगाने को सरकार को आड़े हाथ लिया है। उन्होंने कहा कि एस्मा लगाकर सरकार ने अपनी नाकामी का प्रमाण दिया है। इसके साथ ही उन्होंने उपनल कर्मियों के लिए नो वर्क नो पे लागू किए जाने की कठोर निंदा की है। वहीं, सीटू ने भी एस्मा का कड़ा विरोध किया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
गौरतलब है कि उत्तराखंड में विभिन्न विभागों में कर्मचारी विभिन्न मुद्दों को लेकर आंदोलन की राह में हैं। उपनल के माध्यम से सरकारी विभागों में कार्यरत कर्मचारी नियमितीकरण व समान वेतन सहित कई मांगों को लेकर कई दिनों से हड़ताल पर हैं। ये कर्मचारी देहरादून के परेड मैदान पर धरने में डटे हुए हैं। ऐसे में सरकार ने इस हड़ताल तो तोड़ने के लिए नया दांव खेला है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
राज्य सरकार ने विभागों में हड़तालों पर रोक के आदेश जारी कर दिए हैं। इसी के साथ ही उत्तराखंड में एस्मा एक्ट लागू कर दिया गया है। साथ ही उपनल में नो वर्क-नो पे लागू कर दिया गया है। कार्मिक सचिव शैलेश बगौली और सैनिक कल्याण सचिव दीपेंद्र कुमार चौधरी ने इस संबंध में दो अलग-अलग आदेश जारी किए हैं। इस आदेश से कर्मचारियों में आक्रोश भी है। राज्य में यह प्रतिबंध आवश्यक वस्तु अनुरक्षण अधिनियम 1966 के तहत लगाया गया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इस मामले में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गोदियाल ने कहा कि उपनल के जरिये कार्यरत कर्मचारी वर्षों से प्रदेश की स्वास्थ्य, सुरक्षा, प्रशासनिक और तकनीकी व्यवस्थाओं को संभालते आए हैं। बिना स्थायीकरण, बिना सुरक्षा और बिना उचित वेतन के वे समाज और प्रदेश की सेवा कर रहे हैं। आज जब ये कर्मचारी अपने वैध अधिकारों, नीति निर्धारण और सेवा शर्तों की मांग कर रहे हैं, तब सरकार ने संवाद की जगह दमन का रास्ता चुना है। यह स्पष्ट संकेत है कि धामी सरकार अपनी नीतिगत असफलता, मानव संसाधन प्रबंधन की अक्षमता और कर्मचारियों के प्रति असंवेदनशीलता को छिपाने में लगी है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
कांग्रेस के प्रदेश गोदियाल ने कहा कि हमारा स्पष्ट आरोप है कि एस्मा लगाकर सरकार ने कर्मचारियों को अपराधी की तरह ट्रीट करने का प्रयास किया है, जबकि असली अपराध वर्षों से उनकी उपेक्षा है। सरकार का यह कदम बताता है कि वह बातचीत, समाधान और संवेदनशीलता से भाग रही है। उपनल व्यवस्था में मौजूद भारी अनियमिततओं, कमीशन प्रणाली और संविदा-निर्भर तंत्र पर सरकार जवाब देने से बच रही है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि जिस प्रदेश में डॉक्टरों, नर्सों, तकनीकी स्टाफ, ड्राइवरों और फील्ड वर्कर्स की भारी कमी है, वहां एस्मा लगाने से सरकार की घबराहट साफ दिखती है। उन्होंने सरकार से तीखे सवाल करते हुए कहा कि क्या उपनल कर्मचारी मशीन हैं, जिन्हें अधिकारों की मांग करने पर दंडित किया जाएगा? क्या संवाद, समाधान और कर्मचारियों के हितों पर बात करना सरकार की प्राथमिकता नहीं होनी चाहिए? क्या सरकार उपनल प्रणाली की खामियों को छिपाने के लिए एस्मा को ढाल बना रही है? (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
गणेश गोदियाल ने कांग्रेस की तरफ से सरकार से मांग की कि उपनल कर्मचारियों पर लागू एस्मा को तुरंत वापस लिया जाए। कहा कि कर्मचारियों के प्रतिनिधियों के साथ तत्काल बैठकर समाधान प्रक्रिया शुरू की जाए। उपनल व्यवस्था की पूरी तरह समीक्षा कर पारदर्शिता, स्थायित्व और सम्मान आधारित रोजगार प्रणाली लागू की जाए। गोदियाल ने कहा कि उत्तराखंड कांग्रेस इन कर्मचारियों के न्यायपूर्ण संघर्ष के साथ खड़ी है और सरकार की इस अलोकतांत्रिक कार्रवाई का डटकर विरोध करती है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
सीटू ने राज्य मे एस्मा लगाने का सरकार का किया विरोध
सेंटर ऑफ़ इंडियन ट्रेड यूनियंस (सीटू) ने राज्य सरकार की ओर से राज्य मे अपनी मांगो को लेकर संघर्ष कर रहे कर्मचारियों पर एस्मा जैसे कानून लगाने को उनके अधिकारों का हनन बताया। सीटू के जिलाध्यक्ष एसएस नेगी व महामंत्री लेखराज ने संयुक्त बयान जारी कर सरकार के इस कसम का विरोध किया है। उन्होंने कहा कि सरकार कि कर्मचारी व श्रमिक विरोधी नीतियों के खिलाफ सीटू संघर्ष कर रहे कर्मचारियों के साथ है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इस अवसर पर सीटू से संबद्ध आंगनवाड़ी कार्यकत्री सेविका कर्मचारी यूनियन ने भी सरकार के इस कदम का विरोध किया है। उन्होंने कहा कि मांगो को लेकर धरना दे रहीं आंगनवाड़ी बहनो कि मांगो पर शीघ्र कार्यवाही करें। अन्यथा यूनियन भी आंदोलन के लिए मजबूर होंगी। इस अवसर पर प्रांतीय महामंत्री चित्रा ने कहा कि तीन मार्च 2025 को प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रतिनिधि मंडल को मानदेय बढ़ाने सहित अन्य मांगो पर हाई पवार कमेटी बनाई ओर आश्वासन दिया था कि वह इस कमेटी कि रिपोर्ट पर मानदेय सहित अन्य मांगो पर कार्यवाही करेंगे। आज तक भी कोई कार्यवाही नहीं की गई। उन्होंने कहा कि यदि शीघ्र सरकार उनकी मांगो पर कार्रवाई नहीं करते तो आंगनवाड़ी भी आंदोलन के लिए बाध्य होंगी।
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Bhanu Bangwal
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।




