विधानसभा भर्तीयों की जांच को गठित समिति की हैं अपनी सीमाएं, जांच की निष्पक्षता संदेहास्पदः करन माहरा

करन माहरा ने कहा कि उत्तराखंड विधानसभा में राज्य गठन (वर्ष 2000) के उपरान्त विभिन्न पदों पर हुई भर्तियों पर आरोप लगाये जा रहे हैं कि राजनेताओं एवं जिम्मेदार अधिकारियों की ओर से विधानसभा में अपने परिजनों तथा रिश्तेदारों की भर्तियां की गई हैं। इन आरोपों के मद्देनजर सरकार की ओर से विधानसभा में विभिन्न पदों पर हुई भर्तियों की जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि विधानसभा में हुई भर्तियों की जांच के लिए जिस तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया है, उसमें आईएएस एवं वर्तमान में राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण के अध्यक्ष तथा पूर्व में लोक सेवा अभिकरण के अध्यक्ष डीके कोटिया, वर्तमान में लोक सेवा आयोग के सदस्य अवनेन्द्र सिंह नयाल, पूर्व सूचना आयुक्त सुरेन्द्र सिंह रावत को सदस्य बनाया गया है। वहीं, विधानसभा एक संवैधानिक संस्था है। इसके किसी भी मामले की जांच का अधिकार केवल उच्च न्यायालय अथवा सर्वोच्च न्यायालय में निहित होता है। ऐसे में सरकार के अधीन कार्य करने वाले लोक सेवकों की ओर से की जाने वाली जांच की निष्पक्षता संदेहास्पद है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
माहरा ने कहा कि राज्य विधानसभा द्वारा भर्तियों की जांच को गठित समिति की जांच पूरी होने से पूर्व ही जांच से सम्बन्धित सूचनाओं का सार्वजनिक होना जांच समति की निष्पक्षता पर प्रश्नचिह्न खडा करता है। चूंकि विधानसभा एक संवैधानिक संस्था है तथा इसके चलते कमेटी की जांच मे यह सुनिश्चित किया जाना नितांत आवश्यक है कि विधानसभा में हुई भर्तियों मे कानून का पालन होने के साथ-साथ नैतिकता का पालन किया गया है अथवा नहीं। इन भर्तियों की जांच जनहित में होनी चाहिए। साथ ही विधानसभा में हुई सभी प्रकार की भर्तियों की जांच वर्ष 2012 के उपरान्त नहीं अपितु वर्ष 2000 से की जानी चाहिए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
माहरा ने कहा कि उत्तराखंड विधानसभा में मुख्य विपक्षी दल होने के नाते कांग्रेस पार्टी सरकार द्वारा भर्तियों की जांच हेतु समिति के गठन पर असंतोष व्यक्त करते हुए मांग करती है कि विधानसभा में हुई भर्तियों की जांच उच्च न्यायालय के वर्तमान न्यायाधीश की देखरेख में कार्रवाई जाय।

Bhanu Prakash
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भानु बंगवाल
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।