500 करोड़ खर्च कर नहीं सुधरा शहर, अब 47 करोड़ रुपये में कैसे संवारेगा नगर निगमः सूर्यकांत धस्माना
उत्तराखंड कांग्रेस के वरिष्ठ उपाध्यक्ष संगठन सूर्यकांत धस्माना ने नगर निगम देहरादून को सीएम की ओर से दी गई धनराशि पर कटाक्ष किया। उन्होंने कहा कि जो शहर 1500 करोड़ खर्च कर नहीं सुधर पाया, अब उसे 47 करोड़ रुपए में कैसे नगर निगम संवारेगा। उन्होंने कहा कि देहरादून महानगर की अधिकांश ट्रैफिक लाइट खराब हैं। मुख्य चौराहों पर पैदल यात्रियों के लिए नहीं कोई व्यवस्था तक नहीं है। इसके उलट सरकार खोखले दावे कर रही है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
देहरादून स्थित अपने कैंप कार्यालय में पत्रकारों से बातचीत में धस्माना ने कहा कि नगर निगम देहरादून के 27 वर्ष पूरे होने पर आयोजित कार्यक्रम में प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रतिभाग किया। इस दौरान सीएम की ओर से 47 करोड़ रुपये की विभिन्न योजनाओं का प्रचार व दावे इस प्रकार किए गए, जैसे ना जाने कौन सा चमत्कार इन 47 करोड़ रुपए से होने जा रहा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि पूरे देहरादून ने खुली आंखों से देखा है कि स्मार्ट सिटी के नाम पर पंद्रह सौ करोड़ रुपये खर्च कर किस प्रकार पैसों की बंदरबांट की गई और भ्रष्टाचार हुआ। शहर के हाल बद से बदतर हो गए। देहरादून की नागरिक सुविधाएं जिस बुरे हाल में हैं, उतने बुरे हाल में कभी नहीं रहे। उन्होंने कहा कि महानगर के सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट का कोई स्थाई प्लान नगर निगम के पास नहीं है। इसके कारण रोजाना डंपिंग ग्राउंड के आस पास के लोग आंदोलनरत रहते हैं। महानगर में घर घर कूड़ा उठाने की व्यवस्था बनी आए दिन चरमरा जाती है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
कांग्रेस नेता धस्माना ने कहा कि महानगर के व्यस्ततम चौराहों घंटाघर, दर्शन लाल चौक, प्रिंस चौक, सहारनपुर चौक, दिलाराम बाजार, सर्वे चौक, करनपुर, बल्लूपुर चौक पर ट्रैफिक लाइट ना तो काम करती हैं, ना ही वहां ट्रैफिक नियंत्रण के लिए पर्याप्त पुलिस बल तैनात रहता है। पैदल राहगीरों के लिए इन चौराहों को पार करना भरी जोखिम भरा होता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
सूर्यकांत धस्माना ने कहा कि नगर निगम में स्थाई सफाई कर्मचारियों की भर्ती लंबे समय से नहीं हुई है। सफाई का कार्य ठेका प्रथा व स्वच्छकार समितियों के भरोसे ही चल रहा है। ऐसे में 47 करोड़ रुपए की योजनाओं का आटे का बम चला कर नगर निगम और राज्य सरकार कद्दू में तीर मारने की फिराक में हैं। इससे महानगर का कोई भला होने वाला नहीं है।
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Bhanu Bangwal
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।



