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July 10, 2025

सबसे बड़ा सवाल, पहले प्रतिबंधित कर दी गई तो फिर क्यों उठा कांवड़ का मुद्दा, साफ नहीं सरकार, सुप्रीम कोर्ट पहुंचा मामला

उत्तराखंड के साथ ही देशभर में कोरोना की दूसरी लहर की रफ्तार क्या ढीली पड़ी कि सरकारों को कांवड़ यात्रा की याद आ गई। वहीं, चिकित्सा विशेषज्ञ कोरोना की तीसरी लहर जल्द आने की चेतावनी दे रहे हैं।

उत्तराखंड के साथ ही देशभर में कोरोना की दूसरी लहर की रफ्तार क्या ढीली पड़ी कि सरकारों को कांवड़ यात्रा की याद आ गई। वहीं, चिकित्सा विशेषज्ञ कोरोना की तीसरी लहर जल्द आने की चेतावनी दे रहे हैं। उत्तराखंड में सरकार पहले ही कांवड़ यात्रा नहीं कराने का निर्णय ले चुकी थी। इस संबंध में हाल ही में कई राज्यों के पुलिस अधिकारियों की बैठक में भी तय किया गया कि सभी राज्यों की पुलिस अपने अपने राज्य की जनता को जागरूक करेंगे कि इस बार कांवड़ यात्रा नहीं है और उत्तराखंड की ओर रुख न करें। वहीं, सरकार का इस मामले में रुख साफ नहीं है या फिर नाटक कर रही है। क्योंकि उत्तराखंड के सीएम इस संबंध में साफ जवाब नहीं दे रहे हैं। वहीं, अब ये मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है।
फिर कैसे उठा कांवड़ यात्रा का मामला
अचानक यूपी से कांवड़ यात्रा का मुद्दा उछला और उत्तराखंड तक पहुंच गया। चारधाम यात्रा का मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है, उधर यूपी में कांवड़ यात्रा शुरू करने की तैयारी की जा रही है। इसी को देखते हुए उत्तराखंड सरकार क्यों पीछे रहने वाली है। यहां के सीएम पुष्कर सिंह धामी ने हाल ही में अधिकारियों को निर्देश दिए कि इस संबंध में दूसरे राज्यों से वार्ता की जाए। तब उसी के अनुरूप निर्णय किया जाएगा।
25 जुलाई से शुरू हो हरे सावन के महीने में हर साल होने वाले कांवड़ यात्रा को लेकर सीएम योगी ने बड़ा फैसला किया था। इसके तहत सीएम योगी आदित्यनाथ ने पूरे कोविड प्रोटोकोल के साथ कावड़ यात्रा संपन्न करवाने के निर्देश दिए थे। इसके बाद मुख्यमंत्री योगी आदियनाथ ने कांवड़ यात्रा के संबंध में शनिवार नौ जुलाई को फील्ड के पुलिस अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की। बैठक में सीएम योगी आदित्यनाथ के साथ-साथ अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश अवस्थी, डीजीपी मुकुल गोयल समेत अन्य प्रशासनिक अधिकारी भी मौजूद रहे। इस बैठक में सीएम योगी ने कांवड़ यात्रा को लेकर तैयारियों को परखने के साथ साथ कोविड गाइडलाइन का सख्ती से पालन करवाने के निर्देश भी दिए है।
फिर उत्तराखंड के सीएम ने भी मिलाए सुर
इसके बाद उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी यूपी के सीएम के सुर में सुर मिलाते हुए अधिकारियों को भी बैठक कर निर्देश दिए कि इस संबंध में सभी पहलुओं का अध्ययन किया जाए। फिर परिस्थितियों को देखते हुए निर्णय किया जाएगा।
कोरोना की तीसरी लहर की आशंका के बीच आइएमए का बयान
कोरोना की तीसरी लहर की आशंका को देखते हुए विभिन्न संगठनों के साथ ही चिकित्सा विशेषज्ञ कोविड कर्फ्यू में दी जा रही ढील को गलत मान रहे हैं। देश के डॉक्‍टरों की शीर्ष संस्‍था, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने केंद्र और राज्‍य सरकारों से कोविड के खिलाफ जंग में कोई ‘ढिलाई’ नहीं बरतने की अपील की है। संस्‍था ने चेताया है कि कोरोना की तीसरी लहर करीब ही है। संस्‍था ने इस मुश्किल वक्‍त पर देश के विभिन्‍न स्‍थानों पर अधिकारियों और लोगों की ओर से कोरोना मामले में बरते जा रहे ‘आत्‍मसंतोष’ (Complacency) पर नाराजगी और दुख जताया है।
नहीं होना चाहिए लापरवाह
आईएमए ने चेतावनी भरे लहजे में कहा कि मेडिकल बिरादरी और राजनीतिक नेतृत्‍व के तमाम प्रयासों की बदौलत ही देश कोरोना महामारी की घातक दूसरी लहर से उबर पाया है। ऐसे में हमें ‘लापरवाह’ नहीं होना चाहिए। आइएमए की प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि उपलब्‍ध वैश्विक साक्ष्‍यों और किसी भी महामारी के इतिहास को देखते हुए कहा जा सकता है कि तीसरी लहर अपरिहार्य और करीब है। हालांकि यह बेहद दुर्भाग्‍यपूर्ण है कि देश में ज्‍यादातर हिस्‍सों में सरकार और लोग आत्‍मसंतुष्‍ट (complacent) हो गए हैं और कोविड प्रोटोकॉल का पालन किए गए बड़ी संख्‍या में लोग एकत्र हो रहे हैं।
धार्मिक आयोजनों का किया जा सकता है इंतजार
विज्ञप्ति में कहा गया है कि पर्यटन, धार्मिक यात्राएं और धार्मिक समारोह जरूरी हैं, लेकिन इसके लिए कुछ माह इंतजार किया जा सकता है। इन स्‍थलों को खोलना और टीकाकरण के बगैर ही लोगों का वहां बड़ी पैमाने पर एकत्रित होना कोरोना की तीसरी लहर के फैलने का कारण बन सकता है। आईएमए की ओर से कहा गया है कि इस अहम मोड़ पर हमें अगले दो-तीन माह तक कोई जोखिम मोल नहीं लेना चाहिए।
स्पष्ट जवाब नहीं दिया सीएम धामी ने
कांवड़ यात्रा होगी या स्थगित कर दी गई है। इसे लेकर अभी तक उत्तराखंड के नए सीएम पुष्कर सिंह धामी के पास कोई स्पष्ट जवाब नहीं है। जब पत्रकारों ने उनसे सवाल किया तो बोले कि- कांवड़ उत्तराखंड का विषय नहीं, इसमें यूपी हरियाणा दिल्ली भी है। उत्तराखंड मेजवान है। यात्रा दस बीस लाख लोगों का विषय नहीं है। यात्रा श्रद्धा आस्था से जुड़ा विषय है। ध्यान रखना होगा कोरोना न बढ़े। ऐसा न हो कि कोरोना के कारण लोगों की जानमाल को खतरा हो। हमारी पहली प्राथमिकता है कि लोगों की जानमाल सुरक्षित रहे।
उत्तराखंड के सीएम ने कहा कि आस्था और श्रद्धा के विषय में भगवान को भी अच्छा नहीं लगेगा कि किसी की जान न जाए। आइएमए ने लिखा है पीएम और आपको भी। हमने अधिकारी लेबल की बैठक की। इसके बाद उच्चस्तरीय बैठक की जरूरत पड़े तो करेंगे। जानमाल की सुरक्षा हमारी पहली प्राथमिकता है। किसी की भी जान ना जाए खतरे में ना जाए। चाहे कांवड़ यात्रा वाले हों या अन्य हों।
सबसे बड़ा सवाल, ये मुद्दा क्यों उठा
अब सबसे बड़ा सवाल है कि जब स्वास्थ्य विशेषज्ञ पहले ही तीसरी लहर की चेतावनी दे चुके हैं। फिर कोरोना के मामले कम होने पर अचानक सरकारें लापरवाह क्यों होने लगी। जैसे ही कोरोना के केस कम होने लगते हैं तो क्यों गलतफहमी हो जाती है कि सबकुछ ठीक हो गया है। नियम तो पहले ये हैं कि उत्तराखंड में बाहरी राज्यों के आने वालों को 72 घंटे की आरटी-पीसीआर रिपोर्ट लानी होगी। ये नियम भी पहले से है कि पर्यटक स्थलों के लिए भी रिपोर्ट जरूरी है। फिर सरकार और जिला प्रशासन को बार बार इस विषय पर आदेश क्यों जारी करने पड़ रहे हैं। इसी तरह कांवड़ यात्रा पहले ही स्थगित कर दी गई थी और उत्तराखंड पुलिस ने भी दूसरे राज्यों की पुलिस से संपर्क कर इस निर्णय से अवगत करा दिया तो फिर अचानक कांवड़ यात्रा का मुद्दा कहां से उछल गया। इस पर भी अभी तक सरकार कोई स्पष्ट निर्णय नहीं ले पा रही है।
सुप्रीम कोर्ट पहुंचा मामला
उत्तराखंड हाई कोर्ट में हलफनामे के साथ कांवड़ यात्रा पर पाबंदी लगाने के बाद अब कांवड़ यात्रा पर विचार करने का सरकार का फैसला सुप्रीम कोर्ट की चौखट तक पहुंच गया है। तीन जिलों में स्थानीय लोगों को चारधाम यात्रा की अनुमति देने से संबंधित कैबिनेट के निर्णय पर रोक लगाने के हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दायर की थी। इस पर सुनवाई से पहले हाईकोर्ट के याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट में कैवियट फाइल कर दी है।
शुक्रवार को हो सकती है सुनवाई
इसी बीच सरकार की एसएलपी की कॉपी याचिकाकर्ताओं तक पहुंची तो याचिकाकर्ता अनु पंत के अधिवक्ता अभिजय नेगी की ओर से सुप्रीम कोर्ट में प्रार्थना पत्र दाखिल किया गया है। जिसमें मीडिया रिपोट्स का हवाला देते हुए उत्तर प्रदेश सरकार के दबाव में कांवड़ यात्रा के मामले में पुनर्विचार का जिक्र किया गया है। साथ ही प्रदेश सरकार की एसएलपी को खारिज करने की मांग की है। सुप्रीम कोर्ट इस मामले में शुक्रवार को सुनवाई कर सकता है।
हाईकोर्ट ने लगाई है चारधाम यात्रा पर रोक
उत्तराखंड हाई कोर्ट ने राज्य के तीन जिलों में सीमित दायरे में चारधाम यात्रा शुरू करने के 25 जून के कैबिनेट के फैसले पर रोक लगा दी थी। इस फैसले के खिलाफ राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दाखिल कर दी है। राज्य सरकार की एसएलपी से पहले हाई कोर्ट में याचिकाकर्ता अधिवक्ता दुष्यंत मैनाली, देहरादून की अनु पंत व सच्चिदानंद मैनाली की ओर से सुप्रीम कोर्ट में कैवियट फाइल कर दी गई। जिसमें इस मामले में फैसले से पहले उनका पक्ष सुनने का अनुरोध किया गया है।
सरकार ने हाईकोर्ट में दिया था शपथपत्र
इसी बीच राज्य के नए मुख्यमंत्री की ओर से कांवड़ यात्रा के मामले में पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश के अधिकारियों से विचार विमर्श करने के निर्देश राज्य के अधिकारियों को दिए थे। दून की अनु पंत के अधिवक्ता अभिजय नेगी के अनुसार राज्य सरकार की ओर से दाखिल एसएलपी की कॉपी मिली है। जिसमें हाई कोर्ट में दाखिल उस हलफनामे का जिक्र है, जिसमें कांवड़ यात्रा पर सरकार की ओर से रोक लगाने की बात शपथ पत्र में की गई है।
नया प्रार्थना पत्र दाखिल
यह भी जिक्र है कि सरकार ने कोविड संक्रमण के बड़ी संख्या में जब मामले आए तो हरिद्वार के एक अस्पताल में कोविड मरीजों का मनोबल बढ़ाने के लिए म्यूजिक सिस्टम तक का सहारा लिया गया। जिसके बाद अधिवक्ता नेगी द्वारा सुप्रीम कोर्ट में नया प्रार्थना पत्र दाखिल किया गया है। इस पत्र के साथ मसूरी के कैम्पटी फॉल में जुलाई पहले सप्ताह में सैकड़ों पर्यटकों की भीड़ केमस्ती करने के वायरल वीडियो को भी संलग्न किया गया है।

Bhanu Bangwal

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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