निजी कॉलेजों की संबद्धता समाप्त करना विश्वविद्यालय के अधिकार क्षेत्र में नहींः डॉ. सुनील अग्रवाल
एसोसिएशन ऑफ सेल्फ फाइनेंस इंस्टीट्यूट उत्तराखंड के अध्यक्ष डॉ. सुनील अग्रवाल ने निजी कॉलेजों की संबद्धता को अगले चरण में समाप्त करने के प्रस्ताव पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि निजी कॉलेजों की संबद्धता को समाप्त करना विश्वविद्यालय के अधिकार क्षेत्र में नहीं है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
गौरतलब है कि केंद्रीय एचएनबी गढ़वाल विश्वविद्यालय ने प्रदेश के 10 अशासकीय डिग्री कॉलेजों की संबद्धता खत्म कर दी है। अब विवि से जुड़े 72 प्राइवेट कॉलेजों की संबद्धता को समाप्त करने का प्रस्ताव है। विवि की कार्यकारी परिषद ने इन कॉलेजों की संबद्धता अगले साल से खत्म करने का निर्णय लिया है। यह निर्णय पिछले साल 20 जून को हुई शिक्षा मंत्रालय, राज्य सरकार व यूजीसी की संयुक्त बैठक के परिप्रेक्ष्य में लिया गया है। हालांकि कॉलेजों का कहना है कि विवि के 2009 में पारित एक्ट के तहत उन्हें असंबद्ध नहीं किया जा सकता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इस मामले में एसोसिएशन ऑफ सेल्फ फाइनेंस इंस्टीट्यूट उत्तराखंड के अध्यक्ष डॉ. सुनील अग्रवाल ने विश्वविद्यालय की 30 मई को हुई कार्य परिषद द्वारा निजी कॉलेजों की संबद्धता भी अगले सत्र से चरणबद्ध रूप से समाप्त करने के प्रस्ताव पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की। एक बयान में उन्होंने कहा कि हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय के 15 .1 2009 को राज्य विश्वविद्यालय से केंद्रीय विश्वविद्यालय बनने के समय पारित एक्ट के द्वारा यह व्यवस्था दी गई थी, जो कॉलेज गढ़वाल विश्वविद्यालय से राज्य विश्वविद्यालय के समय एफिलिएटिड थे। वह केंद्रीय विश्वविद्यालय बनने पर भी एफिलिएटिड रहेंगे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि उस समय राज्य विश्वविद्यालय से केंद्रीय विश्वविद्यालय में कॉलेजों की संबद्धता हस्तांतरित की गई थी। इस एक्ट में अभी तक कोई परिवर्तन पार्लियामेंट द्वारा नहीं किया गया है। किसी भी एक्ट में परिवर्तन किसी बयान से नहीं, संसद में संशोधन एक्ट पास करके ही किया जा सकता है। इस संबंध में दिनांक 4:12 2014 को उच्च न्यायालय नैनीताल द्वारा रिट पिटिशन 2550 ऑफ 2014 के अपने निर्णय में स्पष्ट कहा गया है सेंट्रल यूनिवर्सिटी एक्ट में एफीलिएशन और डिएफीलिएशन का कोई प्रावधान ही नहीं है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
हाईकोर्ट ने कहा कि एक्ट के द्वारा संबद्धता राज्य विश्वविद्यालय से केंद्रीय विश्वविद्यालय में हस्तांतरित की गई है। इसलिए इस संबंध में कोई विवाद ही नहीं है। विश्वविद्यालय कॉलेजों का निरीक्षण कर कॉलेजों से नियमों का पालन करवा सकता है। डॉ अग्रवाल ने कहा एक्ट के तहत कॉलेजों की संबद्धता बरकरार है। संबद्धता उसी कॉलेज की समाप्त होगी, जो स्वयं विश्वविद्यालय से असंबद्ध होना चाहता है या फिर केंद्र द्वारा संसद में एक्ट में परिवर्तन करने पर ही संबद्धता समाप्त हो सकती है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने बताया कि अभी विश्वविद्यालय की कार्यपरिषद द्वारा 10 अन् एडिट कॉलेजों की संबद्धता समाप्त करने का प्रस्ताव पास किया गया है। इसको लेकर भी विश्वविद्यालय और राज्य सरकार को स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए, जिससे छात्रों में भ्रम की स्थिति ना रहेगी। उन्होंने कहा कि एक तरफ एडमिशन की प्रक्रिया आरंभ हो गई है। वहीं, दूसरी तरफ संबद्धता समाप्त की गई है। ऐसे में छात्रों में भी अब भ्रम की स्थिति पैदा हो गई है।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।