पीएम मोदीजी बताएं नोटबंदी से देशवासियों को क्या हुआ फायदा, समस्याएं तो कई गुना बढ़ गईंः लालचंद शर्मा
उन्होने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अभी तक ‘नोटबंदी’ की विफलता को स्वीकार नहीं किया है। इसके कारण अर्थव्यवस्था नीचे आ गई। लालचंद शर्मा ने कहा कि मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि जनता के पास मुद्रा 21 अक्टूबर तक 30.88 लाख करोड़ रुपये के नए उच्च स्तर पर पहुंच गई है। यदि नोटबंदी से देश को फायदा होता तो क्या ऐसे दिन देश को देखने पड़ते। उन्होंने कहा कि सरकार ने नोटबंदी को मास्टरस्ट्रोक बताया था। इस मास्टरस्ट्रोक के 6 साल बाद सार्वजनिक रूप से उपलब्ध नकदी 2016 की तुलना में 72 प्रतिशत अधिक है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
लालचंद शर्मा ने कहा कि कहा कि देश को काले धन से मुक्त कराने के लिए नोटबंदी का वादा किया गया था। इसके उलट पीएम मोदी के इस फैसले ने व्यवसायों को नष्ट कर दिया और नौकरियों को बर्बाद कर दिया। प्रधानमंत्री ने अभी तक इस बड़ी विफलता को स्वीकार नहीं किया है, जिसके कारण अर्थव्यवस्था गिर गई। उन्होंने कहा कि सेंटर फॉर मॉनिटरिंग के आंकड़े लगातार बता रहे हैं कि नोटबंदी के बाद करोड़ों की संख्या में लोगों की नौकरियां गई हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
लालचंद शर्मा ने कहा कि नोटबंदी के पड़े असर के बाद करोड़ों लोगों को फैक्ट्रियों और सेवा क्षेत्रों से निकाल दिया गया। सरकारी विभागों में तो नौकरियों की किल्लत लगातार बढ़ ही रही थी। इधर नोटबंदी के बाद निजी कंपनियों में भी नौकरियों के लाले पड़ने लगे हैं। साथ ही बड़े पैमाने पर छंटनी की गई। उन्होंने कहा कि नोटबंदी के समय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने खुद कहा था कि इससे नक्सल और आतंक समाप्त हो जाएगा, लेकिन आंकड़े बताते हैं कि नोटबंदी के बाद संबंधित क्षेत्रों में नक्सल और आतंकवाद में बढ़ोतरी हुई है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
लालचंद शर्मा ने कहा कि नोटबंदी के समय काले धन का भी बहुत रोना रोया गया था। कहा गया था कि बाजार से काला धन समाप्त हो जाएगा, लेकिन ऐसा कुछ दिख नहीं रहा है। आंकड़े बता रहे हैं कि काला धन घटने के बजाय बढ़ गया है। उन्होंने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक ने अपनी सालाना रिपोर्ट में कहा था 15.31 लाख करोड़ 500 और हज़ार के पुराने नोट 30 जून 2017 को वापस आ गए। उस समय जाली नोट को लेकर खूब भ्रम फैलाया गया कि भारतीय मुद्रा में जाली मुद्रा का चलन बढ़ गया है, लेकिन पता चला कि कुछ करोड़ रुपये ही जाली नोट पकड़े गए। राष्ट्रीय अपराध शाखा ब्यूरो की रिपोर्ट के अनुसार 2020 में 92 करोड़ के जाली नोट बरामद हुए। 2019 की तुलना में 190 प्रतिशत अधिक है, उस साल 25 करोड़ के जाली नोट बरामद हुए थे। मई 2022 में भारतीय रिज़र्व बैंक की रिपोर्ट आई थी कि 500 के जाली नोटों की संख्या में 102 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। 2000 के जाली नोटों की संख्या में 55 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि सरकार ने घाटा पूरा करने के लिए आम जनता पर टैक्स बढ़ाना शुरू कर दिया। साढ़े चार सौ रुपये का गैस सिलेंडर एक हजार रुपये से अधिक में मिल रहा है। इसी तरह पेट्रोल के दाम आसमान छू रहे हैं। महंगाई चरम पर है। रोजगार के अवसर समाप्त कर दिए गए हैं। सरकारी भर्तियां ना के बराबर हैं। लाखों पद केंद्रीय संस्थानों में रिक्त हैं। इसके बावजूद इन्हें भरा नहीं जा रहा है। ऐसे में सरकार को नोटबंदी को लेकर श्वेत पत्र जारी करना चाहिए।
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भानु बंगवाल
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।