तीर्थ पुरोहितों ने की सीएम धामी से मुलाकात, सीएम की तरफ से ये मिला जवाब
मंगलवार 24 अगस्त को सीएम आवास में देवप्रयाग विधायक विनोद कंडारी और केदारनाथ की पूर्व विधायक शैलारानी रावत के नेतृत्व में केदारनाथ व बदरीनाथ के तीर्थ पुरोहितों के प्रतिनिधिमंडल ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से भेंट की। इस मौके पर मुख्यमंत्री ने कहा कि देवस्थानम बोर्ड से तीर्थ पुरोहितों, हक हकूक धारियों और पण्डा समाज का किसी प्रकार का अहित नहीं होने दिया जाएगा। वरिष्ठ नेता मनोहर कांत ध्यानी जी को संबंधित तीर्थ पुरोहितों के पक्ष को जानकर पूरी रिपोर्ट देने का आग्रह किया गया है। राज्य सरकार सभी को सुनेगी और उनकी चिंताओं का समाधान करेगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कम्यूनिकेशन गैप नहीं होना चाहिए। राज्य सरकार बातचीत के माध्यम से रास्ता निकालेगी। बातचीत से सभी शंकाए दूर की जाएंगी और जहां सुधार की जरूरत होगी, राज्य सरकार सुधार करेगी। उन्होंने कहा कि बदरीनाथ मास्टर प्लान को मूर्त रूप देने से पूर्व सभी संबंधित पक्षों की भी बात सुनी जाएगी और उनकी शंकाओं का निवारण किया जाऐगा। सभी के हित यथासंभव सुरक्षित रहेंगे। प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों ने भी वार्ता के माध्यम से रास्ता निकाले जाने पर सहमति व्यक्त की।
ये है प्रकरण
बता दें कि वर्ष 2020 में उत्तराखंड सरकार ने देवस्थानम बोर्ड का गठन किया था। चारधाम के मंदिरों के साथ ही अन्य कई मंदिरों की व्यवस्थाएं बोर्ड के हवाले कर दी गई। उस समय भी तीर्थ पुरोहित व हकहकूकधारियों ने सरकार के फैसले का कड़ा विरोध किया था। इसके बावजूद तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत अपने फैसले से पीछे नहीं हटे। वहीं, गंगोत्री में पिछले साल भी निरंतर धरना होता रहा। केदारनाथ और बदरीनाध धाम में तो बोर्ड ने कार्यालय खोल दिए, लेकिन गंगोत्री में तीर्थ पुरोहितों के विरोध के चलते कार्यालय तक नहीं खोला जा सका।
उत्तराखंड में नेतृत्व परिवर्तन होने के बाद सत्ता संभालते ही पूर्व मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने देवस्थानम बोर्ड के फैसले पर पुनर्विचार करने की बात कही थी। तीरथ सिंह रावत के बाद पुष्कर धामी सीएम बने और उन्होंने इस संबंध में अभी कोई ठोस निर्णय नहीं लिया। सिर्फ कहा कि तीर्थ पुरोहितों के पक्ष में सरकार बेहतर कर रही है। ऐसे में तीर्थ पुरोहित लगातार आंदोलन कर रहे हैं।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।