गणतंत्र दिवस और बसंत पंचमी पर शिक्षिका उषा सागर की दो कविताएं- तुझको नमन व बसंत पंचमी
तुझको नमन
है नमन तुझको तिरंगे
तेरी शान भी निराली है
तीन रंगों से बना है,
तेरी महिमा गौरवशाली है
है नमन तुझको तिरंगे
तेरी शान भी निराली है।
तेरा हर रंग देता संदेशा
समृद्धि, शान्ति, खुशहाली का।
है विराजा भाल जिनके
शौर्य वीरता बलिदानी का
तिरंगे बीच विराज रहा
नीला चक्र अशोक महान
करती इसकी हर तीली है
मानव गुणों का खूब बखान
चहुंमुखी विकास, प्रगति, निरंतरता
और कर्तव्य का देता संदेशा जहान।
शत शत नमन तुझको को तिरंगे
तेरी आन बान निराली है
है नमन तुझको को तिरंगे
तेरी शान भी निराली है।
तुझसे से है शान उनकी,
और उनकी शान तुझमें है
तेरे लिए तन मन ही क्या,
अपनी जान भी कुर्बान है
सदा तुझपे मर मिटे जो फिदा हुए
मरकर भी न कभी जो तुझसे जुदा हुए
लिपटे हुए तुझमें तेरे लाल वो चल दिए
तेरी आन बान शान में प्राण अपने दे गए
निकले हैं जिसमें आखिरी सफर पर
वो बारात भी निराली है
है नमन तुझको तिरंगे
तेरी शान भी निराली है। (जारी, अगले पैरे में देखिए)
कविता 2-बसंत पंचमी
बसंत पंचमी का त्यौहार,
हर्षोल्लास से मनाया जाता है।
यही दिवस तो ऋतुराज के,
आगमन का संदेश सुनाता है।।
बसंत पंचमी से शरद ऋतु की,
विदाई हो जाती है।
खुश होकर बसंत ऋतु,
धरती पर छा जाती है।।
प्रकृति नवयौवना सी,
सज-धज कर इठलाती है।
रंग-बिरंगे फूलों से भर,
दुनिया रंगीन हो जाती है।।
मां सरस्वती के अवतरण,
का भी तो यही दिवस है।
बुद्धि, ज्ञान और कला की दाता,
मां शारदे पूजन का यही दिवस है।।
खोल ज्ञान के द्वार सभी,
अंधकार अज्ञान का संग ले जाती है।
स्वेत वसन से सजित होकर
वीणा के सुर संगीत बिखेर जाती है।।
भांति-भांति के पुष्पों की खुश्बू से
तन मन महका जाती है।
ऋतु बसंत सबके मन को,
खुशियों से भर जाती है।।
आम डाल पर कोयल अपने,
पंचम स्वर में गाती है।
जन-जन के जीवन में,
नई उमंग भर जाती है।।
डाल-डाल, फूल-फूल पर,
भौंरे गुंजन करते हैं।
पुष्पों से लेकर पराग,
मधु से छत्ता भरते हैं।।
आगमन से बसंत के
जीवन मधुमय हो जाता है।
बिन इसके जीवन पतझड़
सा सूना हो जाता है।।
कवयित्री का परिचय
उषा सागर
सहायक अध्यापक
राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय गुनियाल
विकासखंड जयहरीखाल, जिला पौड़ी गढ़वाल, उत्तराखंड।

Bhanu Prakash
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।