शिक्षिका उषा सागर की कविता-कर प्रयास

कर प्रयास
शिखर तक पहुंचना है गर तुझे
कर प्रयास, कर प्रयास, कर प्रयास
न कर तू कभी भी यूं वक्त का ह्रास
है जो आज पर्याप्त तेरे पास
जो था ,जो है बहुत ही खास
शायद रहे न रहे वो फिर कभी तेरे पास
निकल अपनी मंजिल के लिए
उस तक पहुंचना है गर तुझे
कर प्रयास, कर प्रयास, कर प्रयास
आज धरातल पर है तेरा अस्तित्व
इसका तू न गम करना कभी
कर ऊंचाइयों को छूने का सदैव कृत्य
रुकना न डरकर तू किसी से कभी
आएंगी राह में बाधाएं अड़चनें तेरी अनेक
बढ़ आगे, सोचकर ए है अपना तू लक्ष्य एक
फर्श से अर्श तक पहुंचना है गर तुझे
कर प्रयास, कर प्रयास, कर प्रयास
ठोकरें खाकर ही संभलना आता है
गिर गिर कर ही फिर चलना आता है
दुखों से घबराकर कभी न पीछे देख मुड़कर
बढ़ता चल, बढ़ता सभी को पीछे छोड़कर
रोक ले गर राह कोई तेरी, कमजोर जानकर
चीर सीना तूफान का फौलाद बनकर
हौसले कर बुलन्द इतना कि उड़ान क्षीण न हो
क्षितिज तक पहुंचना है गर तुझे
कर प्रयास कर प्रयास कर प्रयास
कवयित्री का परिचय
उषा सागर
सहायक अध्यापक
राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय गुनियाल
विकासखंड जयहरीखाल, जिला पौड़ी गढ़वाल, उत्तराखंड।
Bhanu Bangwal
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।