शिक्षिका उषा सागर की कविता-करवाचौथ चंद्र दर्शन
चन्दा तू काहे न दर्शन देवे
काहे तू मेरी परीक्षा लेवे
चन्दा तू काहे न दर्शन देवे
भूखे प्यासे सब दर्शन को बैठे हैं
फिर तुम क्यों सबसे ऐसे रूठे हैं
मान भी जाओ चन्दा जी
अब दर्शन दे दो
स्वीकार करो अब अपना
अर्घ्य हमसे ले लो
आकर जल्दी क्यों तू
अपना अर्घ्य न लेवे
चन्दा तू काहे न दर्शन देवे
काहे तू मेरी परीक्षा लेने
पहले भी तुमने इक
बार किया था ऐसा
आओगे तुम जल्दी
ऐसा था मेरा भरोसा
चीर बदरिया के सीने को
सबको दर्शन दीजौ
दर्शन से तुम अपने चन्दा
व्रत को पूरण कीजौ
दर्शन देने में चन्दा तू
अब क्यों देर लगावे
चन्दा तू काहे न दर्शन देवे
काहे तू मेरी परीक्षा लेवे
कवयित्री का परिचय
उषा सागर
सहायक अध्यापक
राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय गुनियाल
विकासखंड जयहरीखाल, जिला पौड़ी गढ़वाल, उत्तराखंड।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।