शिक्षिका उषा सागर की कविता-मनाएं हम होली का त्यौहार

मनाएं हम होली का त्यौहार
घर आंगन में खुशियां छाई
आई है खूब बहार
पेड़ औ पौधों ने खूब
धरती को है सजाया
रंग बिरंगे फूलों ने
उस पर रंग बिखराया
आम्र बौंरो ने डाली का
है सौन्दर्य बढ़ाया
खुश्बू ने उसकी
घर आंगन है महकाया
बैठ डाली पर अमुवा की
कोयल गाती गीत मल्हार
फागुन की पावन पूर्णिमा को
मनाएं हम होली का त्यौहार
नानी, दादी, अम्मा बुआ
खूब हैं पकवान बनातीं
घर-घर, गली, मुहल्ले से
खुश्बू पकवान, गुजियों की आती
बूढ़े बच्चे और जवानों को
खूब हैं ए गुजिया भाती
दौड़-दौड़ सब बच्चे आते
पाकर खुश्बू पकवानों की
पास में उनके बैठ हैं जाते
जल्दी है इनको, खाने की
थाल सजे रंग, पकवानों से
सब में भरा है प्यार अपार
फागुन की पावन पूर्णिमा को
मनाएं हम होली का त्यौहार
इस त्यौहार की एक
विशेष विशेषता है होती
बैर भाव को छोड़ सभी में
मित्रता है हो जाती
रंगों का त्यौहार ए प्यारा
बहुत ही दिलों को है भाता
बुराई पर अच्छाई की
जीत, हमेशा याद दिलाता
सौहार्द भाईचारे का भाव
हर प्राणी में जगाता
नारायण भक्त प्रहलाद की
है ए पावन गाथा
भक्त प्रहलाद की प्रभु ने
रक्षा की है बारम्बार
फागुन की पावन पूर्णिमा को
मनाएं हम होली का त्यौहार
कवयित्री का परिचय
उषा सागर
सहायक अध्यापक
राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय गुनियाल
विकासखंड जयहरीखाल, जिला पौड़ी गढ़वाल, उत्तराखंड।