शिक्षिका हेमलता बहुगुणा की गढ़वाली कविता-सौंण-भादौं

सौंण-भादौं
बरखण लग्यूछ सौंण-भादौं
डांडी कांठी हरी भरी ह्वैगी ।
गदरा गाड़ सबी बढ़ी गैंन
छ्वैला पाणी फूटीगिन
घर गुठ्यारियूम काई जमीगे
शीलन सारी फैलीगैं
डाड़ा पहाड़ सब टूटणा छन
पणगोला पाणी फूटीगिन
काकड़ी गोदड़ी लगण लगी
वण जीव कू मौज पड़ीगैं
प्रभु न अपणी बणाई भूमि तैं
सुंदर रचना सजैगैं।
धान रूपाई डोखरा गुड़ाई
सबी लोग करण लग्या छन
मेहनत रूप दिखौंण लग्यू छ
नई नई चीज खाणा छन।
कवयित्री का परिचय
नाम-हेमलता बहुगुणा
पूर्व प्रधानाध्यापिका राजकीय उच्चतर प्राथमिक विद्यालय सुरसिहधार टिहरी गढ़वाल, उत्तराखंड।