शिक्षिका डॉ. पुष्पा खण्डूरी की कविता-त्योहारों का मस्ती भरा
त्योहारों का मस्ती भरा,
खुशियों का सुंदर आलम हो।
दीपों की झिलमिल किरणों से,
रोशन हर घर का आंगन हो॥
अंगना के पंछी जैसा ही
फुदक रहा यह तन – मन हो।
2.
मिट्टी की सोंधी खुशबू से,
फूटे -जीवन के अंकुर हों।
हरी-भरी इन दूबों पर,
अरमानों के मोती ठहरे हों।
3.
त्योहारों की मस्ती भरा सा,
खुशियों का सुंदर आलम हो।
दीपों की झिलमिल से किरणों
से रोशन हर घर का आंगन हो॥
4.
हंसी – ठिठोली बस्ती में,
बस मौज मनाता जीवन हो।
मिटें द्वंद ,भ्रम दूर निराशा,
अलौकित हर चेहरा हो॥
5.
त्योहारों की मस्ती भरा सा,
खुशियों का सुंदर आलम हो।
दीपों की झिलमिल से किरणों
से रोशन हर घर का आंगन हो॥
कुछ सर्द गुलाबी सुबह पर
गुनगुनी धूप का पहरा हो॥
हर चमन भरा हो कलियों से,
डालों पर फूलों का सेहरा हो।
मलयाचल की हवा बहे।
जिस पर खुश्बू का पहरा हो
6.
त्योहारों का मस्ती भरा
खुशियों का सुंदर आलम हो।
दीपों की झिलमिल किरणों से
रोशन हर घर का आंगन हो॥
हर ओर चिरागों से रोशन,
महका -महका सा गुलशन हो।
रात अमावस आसमान पर,
कई चांद धरा पर उतरे हों॥
7.
त्योहारों का मस्ती भरा,
खुशियों का सुंदर आलम हो
दीपों की झिलमिल किरणों,
रोशन हर घर का आंगन हो॥
कवयित्री का परिचय
डॉ. पुष्पा खण्डूरी
एसोसिएट प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष हिन्दी
डी.ए.वी ( पीजी ) कालेज
देहरादून, उत्तराखंड।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।