शिक्षिका डॉ. पुष्पा खण्डूरी की कविता-धन के रिश्ते

रिश्ते नाते दूर -दूर हुए सब।
धन के रिश्ते आम हो गए॥
पूजा पाठ नित नेम आचरण।
दे कर दक्षिणा मोटी – मोटी,
सब पंडित के नाम हो गए॥
रिश्ते नाते दूर -दूर हुए सब।
धन के रिश्ते आम हो गए॥
तीरथ पूजा सुबह-सुबह कर।
शाम हम सफर जाम हो गए॥
देवालय को निकले ये घर से ।
पहुँचे तो पिकनिक धाम हो॥
आज तभी बनी आपदा।
विपदा बनकर टूट रही है॥
तीर्थों पर हर रोज हादसे।
हर दिन जैसे आम हो गए॥
रिश्ते नाते दूर -दूर हुए सब।
धन के रिश्ते आम हो गए॥
माँ की ममता ममी हो गई।
पिता सदा को डैड हो गए॥
बच्चे अब क्यों पैदा करने।
पति पत्नी ही बेबी बेब हो गए॥
रिश्ते नाते दूर -दूर हुए सब।
धन के रिश्ते आम हो गए॥
कवयित्री का परिचय
डॉ. पुष्पा खण्डूरी
एसोसिएट प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष हिन्दी
डी.ए.वी ( पीजी ) कालेज
देहरादून, उत्तराखंड।

Bhanu Prakash
लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।