शिक्षक एवं कवि श्याम लाल भारती की कविता-आदतें छोड़ी तो नहीं
आदतें छोड़ी तो नहीं
बर्फ ने पिघलना, लकड़ी ने जलना
धरती ने उगलना बादल ने गरजना
आदतें छोड़ी तो नहीं,
फिर न जाने इंसान क्यों?
आज बदल रहा है।।
फूलों ने खिलना पौधों ने बढ़ना,
कांटों ने चुभना बेलों ने लटकना
आदतें छोड़ी तो नहीं,
फिर न जानें इंसान क्यों?
आज बदल रहा है।।
हंस ने दूध पहचानना परिंदों ने उड़ना,
मोर ने नाचना,कोयल ने कूकना।
आदतें छोड़ी तो नहीं,
फिर न जाने इंसान क्यों?
आज बदल रहा है।।
बुरांश ने खिलना कस्तूरी ने महकना,
ब्रह्मकमल ने खिलना मोनाल ने चहकना।
आदतें छोड़ी तो नहीं,
फिर न जानें इंसान क्यों?
आज बदल रहा है।।
बादलों ने गरजना,पानी ने बहना,
हवा ने चलना वर्षा ने होना।
आदतें छोड़ी तो नहीं,
फिर न जानें इंसान क्यों?
आज बदल रहा है।।
आखिर क्यों क्यों क्यों?
कवि का परिचय
श्याम लाल भारती राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय देवनगर चोपड़ा में अध्यापक हैं और गांव कोठगी रुद्रप्रयाग, उत्तराखंड के निवासी हैं। श्यामलाल भारती जी की विशेषता ये है कि वे उत्तराखंड की महान विभूतियों पर कविता लिखते हैं। कविता के माध्यम से ही वे ऐसे लोगों की जीवनी लोगों को पढ़ा देते हैं।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।
बहुत सुन्दर???