बसंत पंचमी पर्व पर शिक्षक एवं कवि रामचंद्र नौटियाल की सरस्वती वन्दना-हंसवाहिनी मां, ज्ञानदायिनी मां

हंसवाहिनी मां, ज्ञानदायिनी मां अन्धकार निवारिणी मां,
प्रकाश दायिनी माँ
भ्रमतारिणी मां,
वीणा पुस्तक धारिणी मां
जय सरस्वती, जय सरस्वती माँ ॥
ज्ञान की गंगा मां
सिद्धि बुद्धि विधाता माँ
ब्रहम सत्य, जगत मिथ्य
भावबोध कारिणी मां
जय सरस्वती माँ जय सरस्वती मां
कालिदास की प्रसिद्धि दायिनी मां
मंधरा कैकेयी की मति हारिणी मां
हर सहृदय विद्व भक्तजन
मानव जन की मंगल कारिणी मां
मृदुवाणी, विनोद कारिणी मां
मुख की वाणी, विद्या, बुद्धि कारिणीमां
जय सरस्वती मा, जय सरस्वती मां
वेद उच्चारिणी मां कर्म संगिणी मां उच्च शिखर दायिनी मां,
कष्टनिवारिणी मां
प्रातः स्मरणीय माँ सायं स्मरणीय माँ मध्याहन स्मरणीप माँ,
पल-पल बोधकारिणी मां
जय सरस्वती मां, जय सरस्वती मां
वेद ऋचा बोले जय सरस्वती माँ
पुराणों के मन्त्र बोले
जय सरस्वती मां.जय सरस्वती माँ
शिव का डमरु बोले
जय सरस्वती मां जय सरस्वती माँ
संगीत के स्वर बोले
जय स्वरस्वती मां – जय सरस्वती मां
पाणिनी का संस्कृत व्याकरण बोले
जय सरस्वती मां जय सरस्वती माँ
नारद की वीणा बोले
जय सरस्वती मां जय सरस्वती माँ
हंसवाहिनी मां ज्ञानदायिनी मां अन्धकार निर्वारिणी माँ,
प्रकाशदायिनी मां भ्रमतारिणी मां,
वीणापुस्तक धारिणी मां
जय सरस्वती मां, जय सरस्वती मां
कवि का परिचय
रामचन्द्र नौटियाल राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय गड़थ विकासखंड चिन्यालीसौड, उत्तरकाशी में भाषा के अध्यापक हैं। वह गांव जिब्या पट्टी दशगी जिला उत्तरकाशी उत्तराखंड के निवासी हैं। रामचन्द्र नौटियाल जब हाईस्कूल में ही पढ़ते थे, तब से ही लेखन व सृजन कार्य शुरू कर दिया था। जनपद उत्तरकाशी मे कई साहित्यिक मंचों पर अपनी प्रस्तुतियां दे चुके हैं।