शिक्षक एवं कवि रामचंद्र नौटियाल की कविता-चलता हूं जिन राहों में
चलता हूं जिन राहों मेंपूछती हैं राहें मुझे
कहां जा रहे हो तुम
मैं कहता राहों से
मंजिल ढूंढने
मंजिल?
राहें कहती हैं मुझे
एक अटके हुए राही हो
लक्ष्य से भटके हुए राही हो
तुम
मैंने राह से पूछा
फिर?
मंजिल पाने का उपाय
“मन की एकाग्रता”
राहें मुझे ज़बाब देती हैं
कवि का परिचय
रामचन्द्र नौटियाल राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय गड़थ विकासखंड चिन्यालीसौड, उत्तरकाशी में भाषा के अध्यापक हैं। वह गांव जिब्या पट्टी दशगी जिला उत्तरकाशी उत्तराखंड के निवासी हैं। रामचन्द्र नौटियाल जब हाईस्कूल में ही पढ़ते थे, तब से ही लेखन व सृजन कार्य शुरू कर दिया था। वह कई साहित्यिक मंचों पर अपनी प्रस्तुतियां देते रहते हैं।

Bhanu Prakash
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।




