शिक्षक एवं कवि रामचन्द्र नौटियाल की गढ़वाली कविता-पौथुलि गिंजुल्डि

पौथुलि गिंजुल्डि
पौथुलि गिंजुल्डि नि औन्दि अब
चौक डंढ्यालि म
गप्पि शप्पि खरि खुदि
छ्वीं काणि नि लगौन्दु क्वै अब
चौक डण्ड्यालि मं
ह्यून्द की ऊना कि
ताकुलि नि कातदु क्वै अब
दिन और रात्युं मां
कना भला जमाना थै
कटि जान्दि ति राति
बाति बात्युं म
ह्यून्दालि छान नि नि कखि
अरु न चौमास कि कुरेडि
नि दिखेन्दि अब डाड्यूं कांठ्यूं मा
सब निरुठा ह्वैक चलिगि अब
गौं छोड़िक सैरु बजारु म
कवि का परिचय
रामचन्द्र नौटियाल राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय गड़थ विकासखंड चिन्यालीसौड, उत्तरकाशी में भाषा के अध्यापक हैं। वह गांव जिब्या पट्टी दशगी जिला उत्तरकाशी उत्तराखंड के निवासी हैं। रामचन्द्र नौटियाल जब हाईस्कूल में ही पढ़ते थे, तब से ही लेखन/सृजन कार्य शुरू कर दिया था। जनपद उत्तरकाशी मे कई साहित्यिक मंचों पर अपनी प्रस्तुतियां दे चुके हैं।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।