शिक्षक एवं कवि रामचंद्र नौटियाल की गढ़वाली कविता-मेरि टिरी

मेरि टिरी
मेरि टिरी तु याद आन्दि रालि..
जब तक दुनिया रालि..
आमु क बग्वान
टिरि कु वु बजार वु घण्टाघर
राजा कु दरबार क्रान्तिकारियों जनान्दोलन की नगरी टिरी
विकास क बाना दिनि टिरी त्वैन
अपणु बलिदान
सुमन की क्रान्ति
प्रेरणा स्रोत की नगरी टिरी.
गढवाळ कि संस्कृति
इतिहास छ टिरी
सिंगोरि की दुकान्यौं की याद छ टिरी गढवाळी गणौ नथुलि की शान छ टिरी
बीर भडु कु मान छ टिरी
बावन गढु कि शान छ टिरी
मेरि टिरि
तु याद आन्दि रालि
जब तक दुनिया रालि
मेरि टिरी तु याद आन्दि रालि..
जब तक दुनिया रालि..
कवि का परिचय
रामचन्द्र नौटियाल राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय गड़थ विकासखंड चिन्यालीसौड, उत्तरकाशी में भाषा के अध्यापक हैं। वह गांव जिब्या पट्टी दशगी जिला उत्तरकाशी उत्तराखंड के निवासी हैं। रामचन्द्र नौटियाल जब हाईस्कूल में ही पढ़ते थे, तब से ही लेखन व सृजन कार्य शुरू कर दिया था। जनपद उत्तरकाशी मे कई साहित्यिक मंचों पर अपनी प्रस्तुतियां दे चुके हैं।