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September 30, 2025

ग्राफिक एरा में चला तलत अज़ीज़ की ग़ज़ल का जादू, आस्ट्रेलिया के ओपेरा से की कन्वेंशन सेंटर की तुलना

देहरादून स्थित ग्राफिक एरा में मशहूर गजलकार तलत अज़ीज़ की गजल का जादू चला और खूब चला। अपनी लोकप्रिय गजलों को अपने खास अंदाज में सुनाकर तलत अज़ीज़ ने लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया। मौका था ग्राफिक एरा के स्थापना दिवस के समारोह की श्रृंखला में देर शाम ‘एहसास-ए-ग़ज़ल : इक शाम तलत अज़ीज़ के नाम’ के रूप में भव्य समारोह का। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

तलत अज़ीज़ ने अपनी गजलों से खचाखच भरे सिल्वर जुबली कंवेंशन सेंटर में ऐसा जादुई माहौल बना दिया कि कभी इस कदर खामोशी कि सुई गिरने की आवाज भी सुनाई दे जाये और कभी देर तक तालियों की ऐसी गड़गड़ाहट की कुछ भी सुनाई ना दे। गजलकार और एक्टर तलत अज़ीज़ ने इस रुपहली शाम का आगाज एक कता से किया…तुझ सा पहले ना कभी … के साथ किया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

इसके बाद तलत अज़ीज़ ने वह गजल सुनाई, जिससे उन्होंने अपने करियर की शुरुआत की थी। ये गजल है- “कैसे सुकून पाऊं, तुझे देखने के बाद, आवाज दे रही है मेरी जिंदगी मुझे, जाऊं के न जाऊं तुझे देखने के बाद…”। उन्होंने फिल्म उमराव जान की गजल “ज़िन्दगी जब भी तेरी बज्म में लाती है, ये जमीं चांद से बेहतर नजर आती है…”, फिल्म बाजार की गजल “फिर छिड़ी रात, बात फूलों की, रात है या बारात फूलों की, फूल के हार, फूल के गजरे, शाम फूलों की रात फूलों की… ” सुनाकर खूब तालियां बटोरी। इसके बाद “आईना मुझसे मेरी पहली सी सूरत मांगे, मेरे अपने मेरी होने की निशानी, मैं भटकता ही रहा दर्द के वीराने में, वक्त लिखता रहा, चेहरे पर हर पल का हिसाब… ” जैसी गजलों से शाम को यादगार बना दिया। उन्होंने श्रोताओं की फरमाइश पर भी गजलें सुनाई। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

 

मोहक और जीवंत धुनों ने पूरे माहौल में उमंग भर दी। उन्होंने भावनाओं की गहराई, शब्दों के मर्म पर अपनी मजबूत पकड़ और संगीत की सूक्ष्मताओं को बाखूबी उजागर किया। “आज जाने की जिद न करो, यूं ही पहलू में बैठे रहो, मर जायेंगे हम तो लुट जायेंगे…” की क्लासिक प्रस्तुति में उनकी आवाज़ की मिठास, संवेदनशीलता और बेजोड़ नियंत्रण ने सभी श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया और संगीत प्रेमियों के दिलों में लंबे समय तक गूंजने तराने छेड़ दिये। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

तबले पर उनका साथ जीतू शंकर, कीबोर्ड पर देवेन योगी और शाहिद अजमेरी ने दिया, वायलिन पर इक़बाल वारसी और पर्कशन पर इमरान भियानी ने अपने अनुपम कलात्मकता तालमेल से प्रस्तुति को और भी जीवंत और अविस्मरणीय बना दिया। समारोह की शुरुआत ग्राफिक एरा ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस के चेयरमैन डॉ कमल घनशाला ने पिछले 32 वर्षों के ग्राफिक एरा के सफर पर प्रकाश डालते हुए की। संचालन डॉ एम पी सिंह ने किया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

ग्राफिक एरा का कन्वेंशन सेंटर आस्ट्रेलिया के ओपेरा जैसाः तलत अज़ीज़
ग़ज़ल सम्राट तलत अज़ीज़ ने कहा कि ग्राफिक एरा का सिल्वर जुबली कन्वेंशन सेंटर अपनी भव्यता और माहौल में ऑस्ट्रेलिया के प्रतिष्ठित ओपेरा हाउस जैसा अद्भुत अहसास कराता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

ग्राफिक एरा के सिल्वर जुबली कन्वेंशन सेंटर में अपने शानदार प्रदर्शन के दौरान मशहूर ग़ज़लकार तलत अज़ीज़ ने देहरादून के प्रति अपने गहरे लगाव को साझा किया। उन्होंने कहा कि देहरादून की वादियाँ, मौसम और आत्मीयता उन्हें हमेशा गहरा सुकून देती हैं और एक कलाकार के तौर पर निरंतर प्रेरित करती हैं। उन्होंने इस शांत और खूबसूरत शहर को “जन्नत सा” बताया और कहा कि इसकी फिज़ा उनकी ग़ज़लों को और भावपूर्ण बना देती है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

इसी दौरान उन्होंने कन्वेंशन सेंटर की तुलना ऑस्ट्रेलिया के ओपेरा हाउस से करते हुए कहा कि यह भव्यता, वातावरण और कलात्मक आभा में किसी भी अंतरराष्ट्रीय मंच से कम नहीं है। जैसे ओपेरा हाउस आत्मा को छू लेने वाले यादगार आयोजनों का गवाह बनता है, वैसे ही ग्राफिक एरा का सिल्वर जुबली कन्वेंशन सेंटर भी हर कार्यक्रम को अद्वितीय और अविस्मरणीय बना देता है।
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Bhanu Bangwal

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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