ज्योति पाकर हीरा कोयलों से निकलता है। दाग़ियों को छोड़ सुशासन बाबू चमकता है।। महत्वाकांक्षी तम में भटक कोयलों से...
दृष्टि दिव्यांग. डॉ. सुभाष रुपेला
माँ का दिल दुख बेटे का देख पिघलता क्यूँ है। देखकर चोट वो मरहम उसे मलता क्यूँ है।। होती है...
ज्योति पाकर हीरा कोयलों से निकलता है। दाग़ियों को छोड़ सुशासन बाबू चमकता है।। महत्वाकांक्षी तम में भटक कोयलों से...
माँ का दिल दुख बेटे का देख पिघलता क्यूँ है। देखकर चोट वो मरहम उसे मलता क्यूँ है।। होती है...
You cannot copy content of this page