नदी को चिट्ठी प्रिय अलकनंदा ,सस्नेह प्रणाम , कैसी हो तुम, कुछ दिन तुम्हें नहीं देखा तो तुम्हारी याद आने...
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यह जीवन भी क्या रहस्य है ! मन कितना खुश होता है !जब मिल जाते हैं,अपने लोग।हृदय हिलोरें भरता है,जब...
" जीवन जींणा चाह " बरसौं , जीवन जींणा बाद बि,ज्यू की धीत , किलै नी भ्वरदी.रूखू - सूखू ,...
ये दौलत भी ले लो, ये शोहरत भी ले लो,भले छीन लो मुझसे मेरी जवानी,मगर मुझको लौटा दो बचपन का...