और रात आ जाती हैपर्वत की पीठ पर बैठा सूरजस्थिर नहीं रहता।लुढ़कता हुआ,धार के पार चला जाता है।केवल रक्तिम आभा-क्षितिज...
Somwari Lal Saklani
यह जीवन भी क्या रहस्य है ! मन कितना खुश होता है !जब मिल जाते हैं,अपने लोग।हृदय हिलोरें भरता है,जब...
लौटेगा क्या बीता बचपन ? लौटेगा क्या मीठा बचपन अरु वह ऊर्जावान जवानी ,मित्र पुराने साथी- सहपाठी अरु जीवन कथा...
शादी का जश्न था। खुशगवार मौसम। हंसी खुशी का माहौल। नर- नारियों से भरा पंडाल। प्रत्येक वस्तु मानो हंस रही...
मलिन मास गया,कोरोना का काल गया।नवरात्र के अवसर पर,मां भगवती का वास हुआ। शरद ऋतु का साथ मिला,वान पैंय्या का...