अर्धरात्रि है, काली स्लेट सी छटाएं मदमाती हुई नृत्य करती जैसे कुछ सिसकियां सी आवाज़ कभी तेज... कभी मद्धम... गुर्राते...
अर्धरात्रि है, काली स्लेट सी छटाएं मदमाती हुई नृत्य करती जैसे कुछ सिसकियां सी आवाज़ कभी तेज... कभी मद्धम... गुर्राते...
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