इन्द्रमणि बड़नी जी इना मन्खि कखन देखण, नेता मेरा बड़ोनी जी। अखोड़ी गौं मा जनम लीनि, उत्तराखण्ड का गाँधी जी।...
Garhwali poetry
कुर्ता पैजामू मेरू पेरूं छ बौंल्या मेरू खूब सज्यूं छ भलू स्वाणु अर प्यारू लग्यौं छ ब्यौंला देखी खुश ह्वाणा...
बीज पहली मिलदूं छौ बीज घरों म अब मिलणु मुश्किल ह्वैगी घरों म बीज सम्भाली नी रखदा भरोसो सरकार पर...
कनी ब्यूली तुम कैन पूछी घर म ऐक ल्याई कनी ब्यूली जैक मैंन बोली घर म जैक ब्यूली ईनी सुण...
लोक जन एक दिन सभी गौं का लोकजन बैठ्या था सभी गौं का चौंक म कूंई किस्सा कूंई गीत कूंई...
अखबार घर म बैठिक अखबार थौ पढ़णु सोची तभी ईका बारा मा कतिक्या बढ़िया ग्यैल्या छ यूं खबर देंदू दुनिया...
सौंण-भादौं बरखण लग्यूछ सौंण-भादौं डांडी कांठी हरी भरी ह्वैगी । गदरा गाड़ सबी बढ़ी गैंन छ्वैला पाणी फूटीगिन घर गुठ्यारियूम...
कवि एवं साहित्यकार दीनदयाल बन्दूणी ने शिक्षक दिवस के दिन अपनी रचना को अपने गुरु को समर्पित किया है। उन्होंने...
आंख्यूं कू राज तेरी आंख्यूं कू ढ़ग बडू छ ड़ुबकी आंख्यूं कू सज बड़ू छ तेरू........................... सुख म टबणादी खुशी...
मैं थ्वऴु छौं जु बांसा लाठा कु बण्यों छौं चाहे मैं कनु भी छौं पर मैं मजबुत छौं मैं कभी...