गढ़वाल भवन नई दिल्ली में उत्तराखंड लोक भाषा साहित्य मंच, दिल्ली के तत्वाधान में वरिष्ठ साहित्यकार जगमोहन सिंह रावत जगमोरा...
Garhwali
श्रृंगार कर्याल उठ दै मेरू लाड़ू मुख हाथ ध्वैयाल सैसर त्वैन जाती श्रृंगार कर्याल। उठ दै.......................... माथा म बिंदिया सिन्दूर...
हुणत्यळि मवसि हे शिब्बू की ब्वै ! हे वीं बुढड़ी....... पर कख? क्वी जवाब ना, तब सुबदार साब। जगतराम जी...
पॉड़ि-पॉड़ि अबि त-कड़क रूड़ नि पड़ि, गौंम सूख पड़िगे. मौल्यार बगत-अबि बटि, निचट रूख पड़िगे.. गौं का स्वाता- पंदेरा ,...
जहाँ आज एक ओर कुछ युवा पश्चिमी गीत संगीत की बयार में बहकर न केवल अपनी जड़ों से दूर हो...
उत्तराखंड में स्थानीय भाषाओं के संवर्धन के लिए कई संगठन प्रयासरत हैं। इनमें गढ़वाली, कुमाऊंनी और जौनसारी भाषा प्रमुख हैं।...
रोज जीवनम , नै अध्या जुड़द.रोज नैं- नैं , सिखड़ा कु मिलद.रोजा हिसाब- निसाब , रोज ह्वे-रोज ! हर रोजा...