कुल्हड़ की चाय की चुस्कियां माटी से जुड़ा रखती है। दुनिया के बदलते तौर तरीकों में भी उस कुम्हार की...
fictitious Pandya
सारा जहां हमारा है। वो हर किनारा हमारा है।। ज़मीन की है कीमत । आसमान तो हमारा है।। समय समय...
असहनीय धोखेबाजी और नाराजगी का अधिकार नहीं जिम्मेदार कोई एक नहीं इसका ये एक पूरी व्यवस्था थी हर किसी का...
उत्तरायण की हर कहानी याद है वो हवा का इंतजार और सही छत की तलाश।। फिरकी पकड़ने के लिए करते...
फकीर हूँ पर लकीर का नही शमशीर हूँ खंजर नही जानता हूँ ज़माने का अंदाज़ा रखना पहचानता हूँ गैरज़रूरी अपनापन...