साहित्य जगत देहरादून के शायर एवं पत्रकार दर्द गढ़वाली की ग़ज़ल -सोचकर देखा बारहा खुद को 3 years ago Bhanu Bangwal सोचकर देखा बारहा खुद को। फिर किया हमने आइना खुद को।। मैकदे से निकलते देखा है। कह रहा था जो...