हुई बेईमानों की हार। विजयी हुआ कुलदीप कुमार। मुंह दिखाने लायक वे रहे न पड़ी ऐसी न्याय की मार। आगे...
साहित्य
आजकल की बहुतेरे लड़कियाँ भूली हुई है अपनी धारा पे चलना...! घर के पिंजरों से बाहर तलाश रही है अपनी...
आदमी परेशान है। काग़ज़ों में अमीर है। आज भी जो फ़कीर है। खलिहान में न धान है। आज रहा न...
मां सरस्वती के आगमन पर, सजने लगी धरती सारी। खिलने लगे फूल रंग बिरंगे, वन, उपवन, खेतों में बारी-बारी।। मधुमास...
मधुमास का आना हुआ। मौसम भी सुहाना हुआ। काला - कलुटा भंवरा भी कलियों का दीवाना हुआ। गुलशन का पत्ता...
मेरी कविता में आना श्री राम! मेरी कविता में आना। मेरी कविता बनें गीता- ज्ञान, मेरी कविता में आना॥ कविता...
उजियारे दिन, काले हो गए। मौसम, बादल वाले हो गए। दीयों का नहीं दोष ज़रा - सा तम के साथ...
ख्वाब देखना तो हसरत है इन आंखों की। पर हर ख्वाब ही मुकम्मल हो जाए ये ज़रूरी तो नहीं॥ बहुत...
मौसम की मार। ग़रीब लाचार। हर दिन पेट सहे भूख़ के वार। मांग जो लाए चार दिन उधार। राह में...
मैं ही मैं, मैं ही मैं सुबह - शाम, मैं ही मैं। मैं ही मैं, मैं ही मैं। जब भी...