बचपन में मुझे जो पसंद था, काश आज भी वही होता तो शायद मैं खुश रहता। क्योंकि तब मैं ज्यादा...
लोकसाक्ष्य स्पेशल
योगी नहीं ये तो भोगी हैं। साधु नहीं ये तो स्वादु हैं। जिनका काम दूसरों को नसीहत देना है, लेकिन...
लगता है कि इन नेताओं का विवाद से चोली दामन का साथ है। वो नेता ही क्या जो विवाद से...
अत्याधुनिक कहलाने के बावजूद अभी भी हम जातिवाद, सांप्रदायिकता के जाल से खुद को बाहर नहीं निकाल पाते हैं। छोटी-छोटी...
कुछ तो लोग कहेंगे, लोगों का काम है कहना। ये गाना मैने बचपन में सुना था। तब शायद इसका सही...
आजकल फैशन का जमाना है। इसके बगैर तो शायद ही कोई अपनी योग्यता का परिचय किसी को नहीं करा सकता।...
अक्ल के टप्पू, सिर पर बोझ घोड़े पर अप्पू। इस कहावत को मैं बचपन से ही पिताजी से मुख से...
इंजीनियर साहब जब भी दो पैग चढ़ाते थे, तो वे एक कविता को दोहराने लगते थे। जोर की आवाज में...
देहरादून में राजपुर रोड स्थित एक होटल के लॉन में लगे पंडाल में डीजे बज रहा था। भीतर वैडिंग चेयर...
छुट्टी का दिन था। दोपहर को रोहित पड़ोस के घर में अपने दोस्त रजत के साथ खेलने गया था। कुछ...