पहाड़ी गीतमाला फाल्गुनी फुहार को लोकगीतों का संग्रह भी कहा जा सकता है। इनमें कुछ गीत को लेखक की ओर...
ललित मोहन
उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल में काली कुमाऊं के पाटी विकासखंड में एक अनोखी पारंपरिक प्रथा बेट अभी भी कायम है।...
गा लो जैसे मर्जी जितनी मर्जीएकदम सटीक बात है… अपना TIME आएगा… जब अपना TIME आएगा…२तब सबको पता चल जाएगा…२...
जाहिल… सुनो बताऊं कैसा लिखो…ऐसा लिखो ना तैसा लिखो…जैसा है कुछ वैसा लिखो…लिखना चाहते हो तब लिखो…मैं बताता हूं तुम्हें...
"लाट-साप" मैं होता,किसी देश का राजा।ठाठ बाठ से रहता।।दिनभर की,चिलचिली धूप में।क्यों कर भागा फिरता।। होती रानी संग पटरानी,बाग बगीचे...