अब न होगी फिर वो मस्ती और वो चिल्लाना। ख़त्म हुआ कॉलेज, अब न होगा फिर कॉलेज जाना।। याद आएगा...
युवा कवि ब्राह्मण आशीष उपाध्याय की वीर रस से ओत प्रोत कविता
मैं इंसान कैसा हूँ, इसका कोई भी मसला नहीं। गर्ज़ निकल जाए, तो फ़िर ख़ुदा भी भला नहीं।। थोड़ा अड़ियल...
वो आया राजनीति में जनसेवा तो बस एक बहाना था। उसको भी तो पाँच सालों में अकूत दौलत कमाना था।1।...
इक रोज़ हम अनहद याद आयेंगे तुमको किसी रोज़ गीतों की तरह गुनगुनाएँगे तुमको। हाल अपने दिल का सुनाएँगे तुमको।।...
क्या तुम्हें याद है? वो हमारी पहली मुलाक़ात क्या तुम्हें याद है? वो शाम और वो बरसात क्या तुम्हें याद...
व्यथा किस से कहूँ दिल की कोई हमारा नहीं। सब के सब स्वार्थी हैं कोई हम छात्रों का सहारा नहीं।...
हर हर महादेव कह करके बांध शीष भगवा जब निकले हम रण को। माएँ तिलक लगा कर कहती जाओ पुत्र...