(श्री राम का तीर लगने से बाली मरणासन्न अवस्था में पहुंच गया है। पढ़िए दोनों का संवाद।) बाली - हे...
प्रदीप मलासी
बाली को समझाने को। उसे सदमार्ग पर लाने को। राम किष्किंधा पर्वत आए। क्या उनके वचन उसे भाए? बोले बाली...
भात कोई आम अन्न नहीं है बल.. दिनभर में कितने पकवान खा लो भात नही खाया तो छपछपी नही पड़ती...
सृजन का बीजतम के खोल में छिपा 'सृजन का बीज'दरख्त होजाना चाहता है..चाहता अस्तित्व बनानाथाह पाना चाहता है..तम के खोल...