सर्दी डर रही है हर गली चौराहे पर, चाय की थडियों पर, विद्यालयों के प्रांगण में, मंदिर मस्जिद गुरुद्वारों में,...
नेमीचंद मावरी
सिर्फ कहने मात्र की आजादी है आज भी एक स्त्री को। उसे आज भी उन्हीं बेड़ियों में बांधकर मजबूर बनाया...
संविधान की रग-रग में 26/11 का खून बहता दिखता है,राष्ट्र की संप्रभुता और एकता पर प्रश्नचिन्ह लगता दिखता है,सहज में...
सड़क किनारे जिंदगी मूक देखती रह जाएगी खून से सने हाथों से गिरेबाँ पकड़ी जाएगी,सामंती तलवारें नन्हें हाथों में लहराएंगी,गठजोड़ों...
ये दौलत भी ले लो, ये शोहरत भी ले लो,भले छीन लो मुझसे मेरी जवानी,मगर मुझको लौटा दो बचपन का...
अभी कुछ बरस पहले ही केशव अपने गाँव को छोड़कर एसएससी की कोचिंग के लिए शहर आया था। ऊपर की...