जगह-जगह है वतन की खुशबू। महक रही है हवन की खुशबू।। जरा सी चूमें जो लब वो हमने। बदन में...
देहरादून के शायर एवं पत्रकार दर्द गढ़वाली की ग़ज़ल -सोचकर देखा बारहा खुद को
सोचकर देखा बारहा खुद को। फिर किया हमने आइना खुद को।। मैकदे से निकलते देखा है। कह रहा था जो...