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December 13, 2024

गढ़वाली कविता

इन्द्रमणि बड़नी जी इना मन्खि कखन देखण, नेता मेरा बड़ोनी जी। अखोड़ी गौं मा जनम लीनि, उत्तराखण्ड का गाँधी जी।...

कुर्ता पैजामू मेरू पेरूं छ बौंल्या मेरू खूब सज्यूं छ भलू स्वाणु अर प्यारू लग्यौं छ ब्यौंला देखी खुश ह्वाणा...

सौंण-भादौं बरखण लग्यूछ सौंण-भादौं डांडी कांठी हरी भरी ह्वैगी । गदरा गाड़ सबी बढ़ी गैंन छ्वैला पाणी फूटीगिन घर गुठ्यारियूम...

कवि एवं साहित्यकार दीनदयाल बन्दूणी ने शिक्षक दिवस के दिन अपनी रचना को अपने गुरु को समर्पित किया है। उन्होंने...

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