हिमालयन हॉस्पिटल में सिस्टमिक स्क्लेरोसिस जागरूकता अभियान, लगाई पोस्टर प्रदर्शनी, बताया लक्षण और उपचार

इस अवसर पर आयोजित हेल्थ टॉक में उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए डॉ. योगेश प्रीत सिंह ने कहा कि पूरे जून माह में स्क्लेरोडर्मा को लेकर जागरूकता अभियान चलाया जायेगा। उन्होंने बताया कि सिस्टमिक स्क्लेरोसिस या स्क्लेरोडर्मा एक ऑटोइम्यून स्थिति है जिसका कारण ज्ञात नहीं है। यह एक गैर-संक्रामक और गैर-कैंसर वाली स्थिति है। स्क्लेरोडर्मा से प्रभावित होने वालों में अधिकांश 30 से 50 वर्ष की आयु के लोग होते है। यह बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक किसी को भी प्रभावित कर सकता है। पुरुषों की अपेक्षा में महिलाएं इससे अधिक प्रभावित होती हैं। डॉ. योगेश प्रीत सिंह ने बताया कि इस बीमारी का प्रभावी उपचार उपलब्ध हैं जो सिस्टमिक स्क्लेरोसिस या स्क्लेरोडर्मा वाले व्यक्ति को सामान्य जीवन जीने में मदद करता है।
स्क्लेरोसिस बीमारी के लक्ष्ण
डॉ. योगेश प्रीत सिंह ने बताया कि इस बीमारी में चेहरे, छाती, पेट, हाथ, पैर और उंगलियों पर तंग या मोटी त्वचा, शुष्क त्वचा; त्वचा में खुजली होती है। यह सिर्फ त्वचा को प्रभावित करने वाली बीमारी नहीं है। त्वचा के अलावा यह फेफड़े, हृदय, जठरांत्र प्रणाली और रक्त वाहिकाओं जैसे अन्य अंग प्रणालियों को भी प्रभावित कर सकती है। इसके अलावा सांस लेने में कठिनाई, सूखी खांसी, ठंड लगने पर उंगलियों का रंग बदलना, उंगलियों के छाले, मुंह सूखना, निगलने में कठिनाई, दस्त, कब्ज, कमजोरी, जोड़ों का दर्द, जोड़ों में सूजन; तंग त्वचा के कारण मुंह खोलने में कठिनाई। रोग की गंभीरता हल्के से लेकर गंभीर तक भिन्न हो सकती है और जीवन के लिए खतरा भी हो सकती।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।