गैरसैंण में निकाली स्वाभिमान महारैली, महिलाओं ने भी बढ़चढ़कर की भागीदारी
मूल निवास भू कानून समन्वय संघर्ष समिति के आह्वान पर आज रविवार एक सितंबर को चमोली जिले में स्थिति उत्तराखंड की ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण में स्वाभिमान महारैली का आयोजन किया गया। इसमें महिलाओं ने भी बढ़चढ़कर भागीदारी निभाई। सुबह रामलीला मैदान परिसर में प्रदर्शनकारी एकत्र हुए और सबसे पहले खटीमा और मसूली गोलीकांड के शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई। इसके बाद वक्ताओं ने संबोधन किया और दोपहर को रामलीला मैदान परिसर से महारैली आरंभ की गई। गैरसैंण तहसील, इंटर कॉलेज मार्ग से होते हुए वापस रामलीला मैदान परिसर पहुंचकर महारैली का समापन किया गया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इस मौके पर आयोजित सभा में समिति के संयोजक मोहित डिमरी ने कहा कि उत्तराखंड राज्य बने 24 वर्ष हो गए, लेकिन उत्तराखंडियों को सत्ताधारी पार्टियों द्वारा उनके अधिकार से वंचित रखा गया। उनके जल, जल, जंगल, संसाधनों और रोजगार पर आज दूसरे प्रदेश के लोगों का कब्जा हो गया। अब समय आ गया है कि राज्य की जनता मूल निवास 1950, सशक्त भू कानून और स्थाई राजधानी गैरसैंण के लिए एकजुट हो। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
समिति के सह संयोजक लुशून टोडरिया ने कहा कि गैरसैंण में जुटे लोगों ने बता दिया है अगर उत्तराखंड में मूल निवास 1950, सशक्त भू कानून लागू नहीं होता और स्थाई राजधानी गैरसैंण नही बनती तो उत्तराखंड की जनता सड़कों पर उतरकर सत्ता के विरोध में सड़कों पर उतरेगी। लुशून ने कहा भाजपा और कांग्रेस बताए कि आजतक उन्होंने मूल निवास, भू कानून और गैरसैंण राजधानी की बात सदन में क्यों नहीं उठाई। महारैली में आसपास के क्षेत्रों से महिला मंगल दलों ने सहभागिता की। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
महारैली में मंच का संचालन समिति के प्रांजल नौड़ीयाल ने किया। इस मौके पर गैरसैंण संघर्ष समिति के अध्यक्ष नारायण सिंह बिष्ट, गैरसैंण संयोजक जसवंत बिष्ट, बेरोजगार संघ के अध्यक्ष बोबी पंवार, समिति के गढ़वाल संयोजक अरुण नेगी, समिति के कुमाऊं संयोजक राकेश बिष्ट, पहाड़ी स्वाभिमान सेना के पंकज उनियाल, मेहलचौरी व्यापार सभा अध्यक्ष मोहन सिंह नेगी, गैरसैंण व्यापार सभा अध्यक्ष सुरेंद्र बिष्ट, अनोदलंकारी हरेंद्र कंडारी, गैरसैंण के युवा नेता दान सिंह, युवा नेता मोहन भंडारी आदि ने संबोधित किया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
आगे की रणनीति
इस मौके पर तय किया गया कि गैरसैंण मे मूल निवास आंदोलन को व्यापक बनाने के लिए जल्द ही अगले कार्यक्रमों की घोषणा की जाएगी। समन्वय समिति के संयोजक मोहित डिमरी ने बताया कि प्रदेश में मूल निवास की सीमा 1950 और मजबूत भू-कानून लागू करने को लेकर चल रहे आंदोलन को प्रदेशभर में ले जाया जाएगा। उन्होंने कहा कि बहुत जल्द ठोस कार्यक्रम बनाकर पूरे प्रदेश में जन जागरूकता अभियान शुरू किया जाएगा। डिमरी ने बताया कि चरणबद्ध तरीके से समिति विभिन्न कार्यक्रम करेगी, जिसके तहत गांव-गांव जाने से लेकर प्रदेश के विश्वविद्यालयों में जाकर युवाओं से संवाद किया जाएगा। इस बाबत जल्द ही कार्यक्रम का ऐलान किया जाएगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ये हैं प्रमुख मांगें
– मूल निवास की कट ऑफ डेट 1950 लागू की जाए।
– प्रदेश में ठोस भू-कानून लागू हो।
– गैरसैंण को प्रदेश की स्थाई राजधानी घोषित किया जाए
– प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में भूमि की बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध लगे।
– शहरी क्षेत्रों में 250 मीटर भूमि खरीदने की सीमा लागू हो।
– गैर कृषक द्वारा कृषि भूमि खरीदने पर रोक लगे।
– पर्वतीय क्षेत्र में गैर पर्वतीय मूल के निवासियों के भूमि खरीदने पर तत्काल रोक लगे।
– राज्य गठन के बाद से वर्तमान तिथि तक सरकार की ओर से विभिन्न व्यक्तियों, संस्थानों, कंपनियों आदि को दान या लीज पर दी गई भूमि का ब्योरा सार्वजनिक किया जाए।
– प्रदेश में विशेषकर पर्वतीय क्षेत्र में लगने वाले उद्यमों, परियोजनाओं में भूमि अधिग्रहण या खरीदने की अनिवार्यता है या भविष्य में होगी, उन सभी में स्थानीय निवासी का 25 प्रतिशत और जिले के मूल निवासी का 25 प्रतिशत हिस्सा सुनिश्चित किया जाए।
– ऐसे सभी उद्यमों में 80 प्रतिशत रोजगार स्थानीय व्यक्ति को दिया जाना सुनिश्चित किया जाए।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।