जैवविविधता के संरक्षण से ही सतत विकास सम्भवः प्रो. डॉ. अनीता रावत

कार्यक्रम में यूसर्क की वैज्ञानिक डॉ. मन्जू सुन्दरियाल ने प्रस्तुतिकरण के माध्यम से उपस्थित छात्र-छात्राओं को जैवविविधता दिवस मनाये जाने, उसकी आवश्यकता, उत्तराखंड में पायी जाने वाले परम्परागत जैविक उत्पादों एवं उनमें पाये जाने वाले पोषक तत्वों, उनके महत्व एवं संरक्षण से अवगत कराया। कार्यक्रम में दून विश्वविद्यालय की शिक्षिका डॉ. शिवा अग्रवाल ने ‘सोल्वेंट एक्सटेªक्शन विधि द्वारा अपशिष्ट जल से प्रदूषकों का पृथक्करण’ विषय पर विशेषज्ञ व्याख्यान दिया। उन्होंने कहा कि अपशिष्ट जल को इन विधियों द्वारा उपचारित करके पुनः विभिन्न कार्यों जैसे- उद्योग, कृषि आदि में प्रयोग किया जा सकता है।
कार्यक्रम में यूसर्क के वैज्ञानिक डॉ. भवतोष शर्मा ने जल के भौतिक एवं रासायनिक पैरामीटर्स एवं प्रयोगशाला में उनका विशलेषण विषय पर अपना व्याख्यान दिया तथा उपस्थित छात्र-छात्राओं को हैंडस ऑन ट्रेनिंग प्रदान की। इससे पूर्व प्रशिक्षण में आये समस्त प्रतिभागियों को डॉल्फिन संस्थान का भ्रमण कराया गया। इसमें माइक्रोबायोलॉजी, कैमिस्ट्री एवं फार्मास्यूटिकल कैमिस्ट्री की प्रयोगशालाओं में प्रयोगात्मक कार्यों को सिखाया गया। डॉल्फिन संस्थान की प्राचार्या डॉ. शैलजा पंत ने ‘माइक्रोबियल एनालिसिस ऑफ वाटर’ विषय पर अपना विशेषज्ञ व्याख्यान देते हुये जल में उपस्थित विभिन्न प्रकार के सूक्ष्म जीवों का अध्ययन करना बताया।
कार्यक्रम में यूसर्क के डॉ. ओम प्रकाश नौटियाल ने सभी उपस्थित प्रतिभागियों को धन्यवाद ज्ञापित किया। समस्त प्रतिभागियों को तीन दिवसीय प्रशिक्षण के प्रमाणपत्र प्रदान किये गये। कार्यक्रम का संचालन डॉ. भवतोष शर्मा ने किया। कार्यक्रम में ई. उमेश चन्द्र, डॉ. अशोक कुमार, डॉ. वर्षा पर्चा, डॉ. पंकज कुमार, डॉ. दिपक कुमार, डॉ. गौरी सिंह, डॉ. तृप्ति मलिक, डॉ. राजू चन्द्रा आदि ने विशेष सक्रिय सहयोग दिया।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।