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March 12, 2025

मोदी राज में बेरोजगारी के हैरानी वाले आंकड़े, दोगुने दर से बढ़ी बेरोजगारी, बेरोजगारों में 83 फीसद युवा

लोकसभा चुनाव की गर्मी के बीच भारत में बेरोजगारी को लेकर नए आंकड़े सामने आए हैं। ये आंकड़े मोदी सरकार को असहज करने वाले हैं। कारण ये है कि दोगुनी दर से बेरोजगारी बढ़ रही है। इनमें भारत के युवा बेरोजगारी से ज्यादा जूझ रहे हैं। लगभग 83 फीसदी बेरोजगार आबादी इससे प्रभावित होने का दावा इंटरनेशनल लेबर ऑर्गनाइजेशन (आईएलओ) और मानव विकास संस्थान (आईएचडी) द्वारा रिपोर्ट में किया गया है। हालांकि, नेताओं के भाषणों में तो भारत तरक्की कर रहा है। विश्व गुरु बन चुका है। यहां किसी को कोई दिक्कत नहीं है। भले की 81 करोड़ जनता मुफ्त के अनाज पर निर्भर है। साथ ही सत्ताधारी दल ऐसी हर रिपोर्ट को हर बार खारिज कर देता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

दोगुना हुआ बेरोजगारी दर का आंकड़ा
रिपोर्ट में चिंताजनक आकड़े सामने आए है। इसमें भारत के कुल बेरोजगार युवाओं में कम से कम माध्यमिक शिक्षा प्राप्त करने वाले युवाओं की तुलना करें तो साल 2000 में 35.2 फीसदी का बेरोजगारी दर का आंकड़ा दोगुना होकर 2022 में 65.7 फीसदी हो गया है। गरीब राज्यों और हाशिए पर रहने वाले समूहों में युवाओं का माध्यमिक शिक्षा के बाद स्कूल छोड़ने का आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है। रिपोर्ट के अनुसार, उच्च शिक्षा में बढ़ते नामांकन के बावजूद, क्वालिटी एजुकेशन संबंधी चिंताएँ बनी हुई है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

इंस्टीट्यूट ऑफ ह्यूमन डेवलपमेंट (IHD) के साथ मिलकर इंटरनेशनल लेबर ऑर्गेनाइजेशन (ILO) ने जो रिपोर्ट जारी की है उसके अनुसार बेरोजगारों में अधिकतर युवा शिक्षित हैं। उन्हें नौकरी की तलाश करने में परेशानी आ रही है। कई लोग तो स्किल्स की कमी के कारण नौकरी नहीं कर पा रहे हैं। इस रिपोर्ट के बाद से यह मुद्दा काफी गरमा गया। इस रिपोर्ट का नाम इंडिया एंप्लाईमेंट रिपोर्ट 2024 (India Employment Report 2024) रखा गया है। जिसके अनुसार भारत के युवा अभी भी बेरोजगारी से जूझ रहे हैं। देश के बेरोजगारों में युवाओं की संख्या 83 प्रतिशत है, जो चिंता की बात है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

स्किल की कमी भी है कारण
बेरोजगारों की संख्या बढ़ने के पीछे का कारण युवाओं में स्किल्स की कमी भी है। अभी भी एक बड़ा हिस्सा डिजिटल साक्षर नहीं है। कई लोगों के पास तो सामान्य जानकारी भी नहीं है। जिसके कारण उन्हें बेरोजगारी का सामना करना पड़ रहा है।
शिक्षित युवाओं में उच्च स्तर की बेरोजगारी
रिपोर्ट के अनुसार, साल 2000 से 2019 के बीच युवा रोजगार और अल्परोजगार में वृद्धि हुई, लेकिन COVID-19 महामारी के वर्षों के दौरान इसमें गिरावट देखी गई। हालाँकि, शिक्षित युवाओं ने इस समय के दौरान काफी उच्च स्तर की बेरोजगारी का अनुभव किया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

इनकम में भी आ रही गिरावट
रिपोर्ट में ये भी सामने आया है कि साल 2019 के बाद सेल्फ-एम्प्लॉयड और नियमित कर्मचारियों की आय में भी गिरावट दर्ज हुई है। न्यूनतम वेतन लेने वाले ऐसे कैजुअल कर्मचारी जिनके पास कोई भी स्किल नहीं है, उन्हें साल 2022 में मजदूरी नहीं मिली।  कोरोनाकाल के दौरान भी बेरोजगारी दर में तेज इजाफा हुआ। कई लोगों की नौकरियां चली गई थी। कम पढ़े-लिखे लोगों से ज्यादा इस दौरान अधिक पढ़े-लिखे लोगों की नौकरियां चली गई थी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

सबसे ज्यादा बेरोजगारी वाले राज्य
जिन राज्यों में बेरोजगारी दर अधिक हैं, उनमें ओडिशा, मध्य प्रदेश, बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड, छतीसगढ़ जैसे राज्य शामिल हैं। जिनमें पिछले सालों से रोजगार के आंकड़ों में ज्यादा सुधार नहीं हुआ। रिपोर्ट में यह कहा गया है कि रीजनल पॉलिसी के कारण इन राज्यों के लोगों को बेरोजगारी का सामना करना पड़ रहा है।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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