एकनाथ शिंदे और उद्धव गुट की याचिकाओं पर आज होगी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई
महाराष्ट्र में बीते दिनों एकनाथ शिंदे की बगावत से आए सियासी संकट बाद सुप्रीम कोर्ट में टीम शिंदे और उद्धव खेमे की ओर से दायर याचिकाओं पर आज अहम सुनवाई होनी है।

शिवसेना नेता और कैबिनेट मंत्री एकनाथ शिंदे ने बीते दिनों पार्टी के 37 से अधिक विधायकों के साथ बगावत कर दी थी। इस कारण राज्य में सियासी संकट आ गया। हफ्ते भर से अधिक चले सियासी खींचतान के बाद शिंदे ने बीजेपी के साथ हाथ मिलाकर सरकार बना ली। पार्टी से बगावत के बाद बनी सरकार में एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री बने और बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस उपमुख्यमंत्री बनाए गए। हालांकि, नई सरकार के गठन को उद्धव खेमे ने चुनौती दी, जिसके बाद विधानसभा में एकनाथ शिंदे को फ्लोर टेस्ट से गुजरना पड़ा. फ्लोर टेस्ट में उन्होंने सफलता हासिल की।
हालांकि, उद्धव खेमे ने राज्यपाल को पूरे घटनाक्रम का जिम्मेदार ठहराया है। उनका कहना है कि बागी विधायकों से संबंधित मामला कोर्ट में लंबित है ऐसे में उन्होंने एकनाथ शिंदे के सरकार बनाने का न्योता किस प्रकार दे दिया। इस मामले में उद्धव खेमे ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। इसके अतिरिक्त नए स्पीकर राहुल नार्वेकर ने जो पद संभालते ही शिवसेना में बदलाव किए उससे संबंधित एक मामला भी कोर्ट में लंबित है, जिस पर आज सुनवाई होनी है।
महाराष्ट्र राजनीतिक संकट की याचिकाओं को सोमवार को सूचीबद्ध किया जाना है। न्यायाधीशों ने अंतिम सप्ताह में दोनों गुटों की तत्काल सुनवाई से इनकार करते हुए कहा था कि 11 जुलाई की तारीख होगी।
महाराष्ट्र राजनीतिक संकट पर दायर याचिकाओं के एक बैच पर आज सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई से पहले, रविवार को शिवसेना के मुख्य सचेतक सुनील प्रभु और डिप्टी स्पीकर नरहरि जिरवाल सहित शिवसेना गुट के सदस्यों ने सुप्रीम कोर्ट में अपनी प्रतिक्रिया दर्ज की है।
वहीं, डिप्टी स्पीकर ने बागी विधायकों को जारी अयोग्यता नोटिस को जायज ठहराया और कहा है कि उन्हें जवाब देने के लिए उचित समय दिया गया है। डिप्टी स्पीकर ने यह भी कहा है कि विधायकों द्वारा उन्हें हटाने का नोटिस अमान्य था। दरअसल, बागी गुट के विधायकों ने नोटिस जारी होने के बाद उन्हें हटाने के लिए याचिका दाखिल कर दी थी।
दूसरी ओर, मुख्य सचेतक सुनील प्रभु ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि दलबदल को पुरस्कृत करने का इससे कोई बेहतर तरीका नहीं है कि वह अपने नेता को मुख्यमंत्री का पद प्रदान करें। अदालत से निर्देश मांगा है ताकि बागी विधायकों को तब तक निलंबित किया जाए। जब तक कि अयोग्यता की कार्यवाही पूरी न हो जाए।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।