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April 19, 2025

लव जिहाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड और यूपी सरकार से मांगा जवाब

उत्तर प्रदेश में लव जिहाद और अवैध धर्मांतरण पर रोक लगाने के लिए बनाए गए यूपी सरकार के ‘अध्यादेश’ के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई हुई। इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट ने यूपी और उत्तराखंड सरकार को नोटिस जारी करते हुए जवाब मांगा है।
याचिकाकर्ता की कानून को खारिज करने की मांग को सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाने से मना कर दिया है। साथ ही यूपी और उत्तराखंड सरकार से चार सप्ताह में जवाब दाखिल करने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह कानून को परखेगा। बता दें कि उत्तर प्रदेश में बनाए गए कानून के खिलाफ सर्वोच्च न्यायलय में याचिकाएं दाखिल की गई थीं। याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि नया कानून उनके मौलिक अधिकारों का हनन है। उनका कहना है कि उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार का ये कानून संविधान की मूल भावना के खिलाफ है, लिहाजा इन्हें निरस्त किया जाना चाहिए।

सर्वोच्च अदालत अब इन अध्यादेशों की संवैधानिकता को परखेगा। यही कारण है कि राज्य सरकारों को नोटिस जारी कर उनका पक्ष मांगा गया है। अदालत में सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल ने सुप्रीम कोर्ट को कहा कि पहले ही इस मामले में हाईकोर्ट सुनवाई कर रहा है। इस पर जिस पर अदालत ने हाईकोर्ट ना जाकर सीधे यहां आने का कारण पूछा।
याचिकाकर्ता की ओर से हाईकोर्ट की बजाय सीधे सुप्रीम कोर्ट में याचिका देने पर अदालत ने आपत्ति जताई। याचिकाकर्ता ने कहा कि इस अध्यादेश पर तुरंत रोक लगा दी जाए। इसकी आड़ में अंतरधार्मिक विवाह करने वाले लोगों को परेशान किया जा रहा है। लोगों को शादियों से ही उठा लिया जा रहा है।
गौरतलब है कि कुछ दिन पहले ही उत्तर प्रदेश सरकार ने धर्म परिवर्तन से जुड़े एक अध्यादेश को मंजूरी दी थी। इसके तहत जबरन धर्म परिवर्तन कराने, लालच देकर या शादी का झांसा देकर धर्म बदलवाने वालों को कड़ी सजा और जुर्माने का प्रावधान किया गया है।
उत्तर प्रदेश के बाद मध्य प्रदेश ने भी ऐसा ही एक अध्यादेश लागू किया था और अपने यहां पांच लाख के जुर्माने, दस साल तक की सजा का प्रावधान रखा था। उत्तराखंड के देहरादून में भी ऐसे ही मामले में युवक, युवती और मौलवी को गिरफ्तार किया गया है। अन्य कई भाजपा शासित राज्यों में इस तरह के कानून लाने की चर्चाएं जोरों पर हैं। हालांकि, कई विपक्षी पार्टियों, समाज के अलग-अलग तबकों ने इसपर आपत्ति जाहिर की है।

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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