सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र, हरियाणा और पंजाब सरकार से मांगा जवाब, कहा किसानों को रोककर रास्ता आपने रोका
1 min readकृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे किसान आंदोलन को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिकाओं पर बुधवार को सुनवाई हुई है। शीर्ष अदालत ने इस मामले में भारतीय किसान यूनियन और कई अन्य किसान संघों को मामले में पक्षकार के रूप में बनाने की अनुमति दी है। कोर्ट ने केंद्र, पंजाब, हरियाणा को नोटिस जारी किया और उन्हें कल तक जवाब देना है। कल इस मामले में फिर सुनवाई होगी।
ये हैं याचिकाएं
बता दें कि किसान आंदोलन को लेकर सुप्रीम कोर्ट में तीन याचिकाएं दाखिल की गई हैं। इन याचिकाओं पर भारत के मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे, जस्टिस ए एस बोपन्ना और जस्टिस वी रामासुब्रमण्यम की बेंच सुनवाई कर रही है। पहली याचिका में दिल्ली निवासी ऋषभ शर्मा ने दिल्ली की सीमाओं पर जमे किसानों को हटाने की मांग की है। याचिका में कहा गया है कि इस प्रदर्शन से COVID19 के प्रसार का खतरा पैदा बढ़ गया है और लोगों को आने- जाने में दिक्कत हो रही है। याचिका में कहा गया है कि प्राधिकारियों को तुंरत बॉर्डर खुलवाने के आदेश दिए जाएं। साथ ही किसी निश्चित स्थान पर सामाजिक दूरी और मास्क आदि के साथ प्रदर्शन को शिफ्ट किया जाए।
दूसरी याचिका में मांग की गई है कि पिछले कई दिनों से दिल्ली की सीमाओं पर किसान बैठे हैं, लेकिन केंद्र सरकार चुप्पी साधे है। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट केंद्र सरकार को निर्देश दे कि वो किसानों की मांगों पर विचार करे। किसानों को बुनियादी सुविधाएं भी प्रदान करे। किसानों के खिलाफ मानव अधिकारों के उल्लंघन के लिए एनएचआरसी से जांच रिपोर्ट भी मांगे और पुलिस बल द्वारा हमले का सामना करने वाले पीड़ित किसानों के लिए पर्याप्त मुआवजे की मांग भी की गई है। यह याचिका वकील जीएस मणि ने याचिका दाखिल की है।
तीसरी याचिका में कहा गया है कि प्रदर्शनकारी किसानों को दिल्ली में प्रवेश करने की अनुमति दी जाए और उन्हें विरोध प्रदर्शन के लिए निर्धारित स्थान यानी जंतर मंतर पर कोविड-19 के दिशानिर्देशों का पालन करते हुए विरोध करने की अनुमति दी जाए। वकील रीपक कंसल की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि किसानों के विरोध के ‘मानवीय और मौलिक अधिकारों’ की रक्षा करने और उन्हें बचाने के लिए न्यायालय का सहारा चाहिए, जिन्हें याचिकाकर्ता का कहना है कि राज्यों ने शांतिपूर्ण विरोध के लिए दिल्ली में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी है। याचिकाकर्ता ने दिशा-निर्देश तैयार करने या नागरिकों के किसी अन्य राज्य तक बेरोक-टोक पहुंच व आवागमन और विरोध के अधिकार के साथ संतुलन बनाने के लिए कानून बनाने की प्रार्थना की है
मामले को सुलझाने को गठित होगी कमेटी
बुधवार को हुई सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम इस मामले में एक कमेटी का गठन करेंगे। जो इस मसले को सुलझाएगी। इसमें किसान संगठन, केंद्र सरकार और अन्य लोग होंगे। कोर्ट ने यह भी कहा कि-ऐसा लग रहा है कि सरकार और किसानों के बीच बातचीत से हल फिलहाल नही निकलता दिख रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सरकार की बातचीत फेल हो जाएगी और यह जल्द ही राष्ट्रीय मुद्दा बन जाएगा। समिति बनाकर बातचीत से मसला सुलझाएंगे।
कोर्ट ने कहा रास्ता तो आपने रोका है
मुख्य न्याायधीश ने याचिकाओं पर विचार करने के बाद कहा कि याचिका में केवल एक आधार लगता है कि मुद्दा ‘फ्री मूवमेंट’ का है, जिससे लोग प्रभावित हो रहे हैं। उन्होंने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि-हमारे समक्ष वो लोग नही है आपको छोड़ कर, जिसने रास्ता रोका है। इसपर इस पर तुषार मेहता ने कहा कि रास्ता ‘हमने नहीं रोका। इस पर सीजीआइ ने कहा कि रास्ता तो आपने रोका किसानों को दिल्ली आने से। मुख्य न्यायाधीश ने पूछा कि कौन कौन सी किसान यूनियन हैं। सॉलिसिटर जनरल ने बताया कि सरकार बातचीत कर रही है।
उन्होंने ने बताया कि किसानों से कई राउंड की बातचीत हुई है, लेकिन किसान कानून रद्द करने को लेकर अड़े हैं। वो हां या नहीं में सरकार से उत्तर चाहते हैं। उन्होंने कहा कि अगर किसान क्लॉज टू क्लॉज बहस करे तो हो पाएगा।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।